हीरो खदानों में मिलतें हैं मैदानों में नहीं
मा बाप जन्म से मिलतें हैं आजमाने से नहीं
रिश्ते तो निभाने से निभाते हैं ठुकराने से नहीं
इज्जत कमाने से मिलतीं है बाजारो से नहीं
जख्म अपनों से ही मिलतें हैं गैरो से नहीं
शहादत तो जंग में मिलतीं है शमशान में नहीं
मंजिल तो ढूंढने से मिलतीं है रास्ते से नहीं
शिक्षा सीखने से मिलती है स्कूलों से नहीं
शर्म तो आंखों में होते हैं दिखावे में नहीं
☆jally singh
ਬਾਰਿਸ਼ बारिश का
लूफत लेते लेते
याद आया कि
कोई ऐसी खता तो नहीं होगी हमसे
कि आसमान रो उठा
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खुद का लहजा बदलो जनाब मैं पहले जैसा नहीं रहा कोरे पन्ने पे कुछ लिखा जाए तो पहले जैसा नहीं रहता आप तो पहले ही पड़ी जख्म देख चुके अब इस शरीर मे जगह नहीं जहां आप जख्म दे सको अब तो आप इस जिंदगी का मुकाम देखिए माना कि जिंदगी की शुरुआत अच्छी नहीं हुई लेकिन हम इस जिंदगी का अंत हसीन करके जाएंगे आप अभी देखते रह जाओगे
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