तेरे संग गुज़ारी, मुक्कमल, हर एक शाम है,
हर शाम कि मुलाकात
मुलाकातों में हुई बात ,,
बातों में भरे जज़्बातों का ये पैगाम है।
तेरी संग गुज़ारी,मुक्कमल हर एक शाम है
ये बस वादों का नहीं, मेरी कोशिशों का काम है।
तेरी ख्वाईशों का मुझमें,
मेरी मुश्किलों का तुझमें,यथोचित हर इंतजाम है।
ये बस वादों का नहीं,मेरी कोशिशों का काम है
दोस्ती का दोस्ती,
प्यार का प्यार ही है,जो बस दाम है,
शब्द दो ही हैं,
वो मेरे एहसास है,जो औरों के लिए,बस नाम है।
ये बस वादों का नहीं, मेरी कोशिशों का काम है।
कोशिशे करना तेरे लिए, ये भी मेरा आराम है।।
ये बस वादों का नहीं, मेरी कोशिशों का काम है।
©shivam mishra
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here