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सर पर उठाया है क्यो आसमा को अगर बढ़ है जाती तेरी धड़कने है.... In instagram - @aahte
कल शाम कुछ अलग नज़र आएगी धूप तो होगी पर नज़र नहीं आएगी सिरहाने का आनंद कहीं ज़मीं पे दफ़न हो जाएगा रूह होगी कमरे के भीतर पर असल में बाहर नज़र आएगी ©Aahte
Aahte
17 Love
गर तुम सिर्फ तुम तक, तो कौन है जो मध्य में आ गया? तुम क्यों और कब ठहर गए, तुम्हारा वक़्त कहाँ गया? ©Aahte
13 Love
कहो कि मैं कब तक तुम्हारे लिए गलियों में इंतज़ार करूँ? हर गुज़रते को एक घर का पता पूछूँ? कब तुम छत पर आकर मुझे एक हंसी का दीदार कराओगी? कब वो दिन होगा जब तुम दरवाजे पर फूल लेने आओगी? कब तक मैं तुम्हारे घर तारीख़ बदलते अखबार फेंकने आऊँगा? कब बजेगा मेरा फोन और मैं गाड़ी लेकर आऊँगा? हम कब तक नज़रों को एक पल के लिए मिला चार दिन के लिए नजरअंदाज़ करेंगे? कहो, हम कब एक-दूसरे को चौराहे पर खड़े हो इज़हार करेंगे? गर मैं थक गया तो? गर तुम ख़फ़ा हो गईं तो? ©Aahte
11 Love
मैं होश में निकला उसे कहने कि हम एक नहीं हो सकते। उसने बेहोशी में मोहब्बत का इज़हार कर दिया। ©Aahte
तुम्हारे कितने अपने है और तुम कितनो के लिए अपने तुम कितनो को समझते हो और कितने तुम्हें है समझते हर दिन इसी बात के साथ सिरहाने में आ जाया करता हु मैं फ़िर से खुद को यही तसल्ली दिलाता हु भूतकाल में लौट चलो ©Aahte
14 Love
कहाँ संगम है दिल और दिमाग का ? कहाँ उफान् काटती आत्मा है ? कहाँ डुबकी लगाती ख्वाहिश ? कहाँ बहती अपनी कहानी है ???? ©Aahte
18 Love
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