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सर पर उठाया है क्यो आसमा को अगर बढ़ है जाती तेरी धड़कने है.... In instagram - @aahte
कहो कि मैं कब तक तुम्हारे लिए गलियों में इंतज़ार करूँ? हर गुज़रते को एक घर का पता पूछूँ? कब तुम छत पर आकर मुझे एक हंसी का दीदार कराओगी? कब वो दिन होगा जब तुम दरवाजे पर फूल लेने आओगी? कब तक मैं तुम्हारे घर तारीख़ बदलते अखबार फेंकने आऊँगा? कब बजेगा मेरा फोन और मैं गाड़ी लेकर आऊँगा? हम कब तक नज़रों को एक पल के लिए मिला चार दिन के लिए नजरअंदाज़ करेंगे? कहो, हम कब एक-दूसरे को चौराहे पर खड़े हो इज़हार करेंगे? गर मैं थक गया तो? गर तुम ख़फ़ा हो गईं तो? ©Aahte
Aahte
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मैं होश में निकला उसे कहने कि हम एक नहीं हो सकते। उसने बेहोशी में मोहब्बत का इज़हार कर दिया। ©Aahte
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तुम्हारे कितने अपने है और तुम कितनो के लिए अपने तुम कितनो को समझते हो और कितने तुम्हें है समझते हर दिन इसी बात के साथ सिरहाने में आ जाया करता हु मैं फ़िर से खुद को यही तसल्ली दिलाता हु भूतकाल में लौट चलो ©Aahte
14 Love
कहाँ संगम है दिल और दिमाग का ? कहाँ उफान् काटती आत्मा है ? कहाँ डुबकी लगाती ख्वाहिश ? कहाँ बहती अपनी कहानी है ???? ©Aahte
18 Love
चादर के साथ रहकर भी सिरहाने कहाँ बता पाते हैं कि है कोई और भी... जो उनसे ही बिछड़ा है हर वक्त साथ है... लगता बस सुनने में ही अच्छा है ©Aahte
15 Love
वो कहने में शायद मुकर जायेगा इश्क है जनाब यू ही कैसे मिल जायेगा ©Aahte
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