कहो कि मैं कब तक तुम्हारे लिए गलियों में इंतज़ार क | हिंदी Sad

"कहो कि मैं कब तक तुम्हारे लिए गलियों में इंतज़ार करूँ? हर गुज़रते को एक घर का पता पूछूँ? कब तुम छत पर आकर मुझे एक हंसी का दीदार कराओगी? कब वो दिन होगा जब तुम दरवाजे पर फूल लेने आओगी? कब तक मैं तुम्हारे घर तारीख़ बदलते अखबार फेंकने आऊँगा? कब बजेगा मेरा फोन और मैं गाड़ी लेकर आऊँगा? हम कब तक नज़रों को एक पल के लिए मिला चार दिन के लिए नजरअंदाज़ करेंगे? कहो, हम कब एक-दूसरे को चौराहे पर खड़े हो इज़हार करेंगे? गर मैं थक गया तो? गर तुम ख़फ़ा हो गईं तो? ©Aahte"

 कहो कि मैं कब तक तुम्हारे लिए गलियों में इंतज़ार करूँ?  
हर गुज़रते को एक घर का पता पूछूँ?  
कब तुम छत पर आकर मुझे एक हंसी का दीदार कराओगी?  
कब वो दिन होगा जब तुम दरवाजे पर फूल लेने आओगी?  
कब तक मैं तुम्हारे घर तारीख़ बदलते अखबार फेंकने आऊँगा?  
कब बजेगा मेरा फोन और मैं गाड़ी लेकर आऊँगा?  
हम कब तक नज़रों को एक पल के लिए मिला 
चार दिन के लिए नजरअंदाज़ करेंगे?  
कहो, हम कब एक-दूसरे को 
चौराहे पर खड़े हो इज़हार करेंगे?  

गर मैं थक गया तो?  
गर तुम ख़फ़ा हो गईं तो?

©Aahte

कहो कि मैं कब तक तुम्हारे लिए गलियों में इंतज़ार करूँ? हर गुज़रते को एक घर का पता पूछूँ? कब तुम छत पर आकर मुझे एक हंसी का दीदार कराओगी? कब वो दिन होगा जब तुम दरवाजे पर फूल लेने आओगी? कब तक मैं तुम्हारे घर तारीख़ बदलते अखबार फेंकने आऊँगा? कब बजेगा मेरा फोन और मैं गाड़ी लेकर आऊँगा? हम कब तक नज़रों को एक पल के लिए मिला चार दिन के लिए नजरअंदाज़ करेंगे? कहो, हम कब एक-दूसरे को चौराहे पर खड़े हो इज़हार करेंगे? गर मैं थक गया तो? गर तुम ख़फ़ा हो गईं तो? ©Aahte

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