लहू में दौड़ती चिंगारी थी
इरादों में उसके इंकलाब था
गुलामी की जंजीर में जकड़ा
सोच से वो मगर आजाद था
फिरंगियों के सितम की इंतहा
झेला वो तो बेहिसाब था
उम्र कच्ची थी इरादे पक्के थे
देश को करना आजाद था
-शब्दोंकीनगरी
गमों की बारिश में जब कभी भीगो तुम तो
मैं तुम्हें खुशियों का छाता लिए खड़ा मिलूंगा
मेरी खुशियों की ओट में तुम्हें छिपाकर मैं
तुम्हारे ग़मों की बारिश में भीगने का मजा लूंगा
-📝 शब्दोंकीनगरी
कोमल मन के सिद्धिविनायक
धरते शक्तिशाली गज का भेष
भक्तों के सब कष्ट हैं हर लेते
मिटाते मन में छिपे सब क्लेश
मेरे आराध्य मेरे श्रीगणेश...
बुद्धि के देव विद्या सुखदाता
जग को ज्ञान का देते संदेश
मोदक-सी मधुर आपकी भक्ति
एकदंत दयावंत श्रीगणेश
मेरे आराध्य मेरे श्रीगणेश...
दर्शन मिल जाए गणपति बप्पा
और कोई इच्छा न रहे फिर शेष
लंबोदर के विशाल हृदय में
करूणा अपार क्रोध लवलेश
मेरे आराध्य मेरे श्रीगणेश...
-📝 शब्दोंकीनगरी
गणपति बप्पा तुम सुखकर्ता हो प्रभु तुम ही दुखहर्ता
तुम्हारी पूजा से मेरा मन नहीं भरता
तुम्हारी कृपा से मेरा सब काम बनता
रिद्धी सिद्धी देते तुम ओ मेरे विघ्नहर्ता..
पार्वतीपुत्र शंकरनंदन तुम्हारी दया का
झरना मेरे लिए सदा ही बहता रहता
तुम्हारा आशिष सदा मुझ पर है रहता
कष्टों से मेरा मन बिल्कुल नहीं डरता
रिद्धी सिद्धी देते तुम ओ मेरे विघ्नहर्ता...
ज्ञान की अनवरत ज्योति जगाते तुम
हे सिद्धीविनायक तुम बुद्धि के देवता
जीवन के अंधियारों में तुम्हारे होने के
अहसास की रोशनी प्रभु मैं हूं भरता
रिद्धी सिद्धी देते तुम ओ मेरे विघ्नहर्ता...
---📝शब्दोंकीनगरी
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