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doctor poet gazhal writer singer and Numerologist
गुजर जाऊं वो झोका नही हवा का ठहर जाऊं वो मौका नहीं जगह का तड़पती हो तो तड़पती रहो जिंदगी अभी आया नही वक्त तेरी दवा का सजा तो दिया है आशियां फूलों से खूबसूरत आज दस्तूर नही है वफा करने का जीतना है तो फिर डरना क्यों मेरे भाई हिसाब क्या करना नुकसान का और नफा का न जाने क्या क्या कहां कहां हलचल सी होती है संभल के रहना ये इश्के मर्ज है पहली दफा का Dr KR Prbodh ©K R Prbodh
K R Prbodh
8 Love
इश्क ही नही फिर धड़कनों में धड़कना कैसा पुकारने की कोई सूरत नहीं फिर जिस्म फड़कना कैसा रफ्ता रफ्ता उतरती रही पपड़ी दीवारों से ऐसी दीवार के साए में सिमटना कैसा छत पे रहती है जीने से उतरती नही फिर ऐसी धूप के जिस्म से लिपटना कैसा प्यार तो करती है हवा जब छू के गुजर जाती है फिर ऐसी बेमानी बातों से निपटना कैसा Dr KR Prbodh ©K R Prbodh
11 Love
नाम तेरा लिख लिख के मिटाया था जब खत पड़ोसी के घर आया था बह गए थे साजो सामान घर के निगाहों से अश्कों का दरिया बहाया था दिखे थे टूटते सितारे उस रात मैने आसमान को कुछ न सुनाया था मौसम है सूना सुना हर चौराहे का तपती दोपहरी में परिंदा भी न देख पाया था चुन चुन के सजाई थी शबनम रात ने जाने क्यूं आफताब कहर बन के छाया था Dr KR Prbodh ©K R Prbodh
10 Love
Saturday, 17 April | 04:30 pm
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आज शाम मैं कह न सकूं तो तुम बोल देना थोड़ी सी मदिरा कानों में घोल देना न बांधो मजबूती से दुपट्टा अपना हवा इश्क की है थोड़ा सा झोल देना तपती है रूह जेठ की दोपहरी में एक करम जुल्फों को खोल देना क्या कहूं क्या न कहूं मोहब्बत में बताना इशारों में बस लफ्ज तोल देना Dr KR Prbodh ©K R Prbodh
उनकी याद DR KR Prbodh ©K R Prbodh
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