नाम तेरा लिख लिख के मिटाया था जब खत पड़ोसी के घर आ

"नाम तेरा लिख लिख के मिटाया था जब खत पड़ोसी के घर आया था बह गए थे साजो सामान घर के निगाहों से अश्कों का दरिया बहाया था दिखे थे टूटते सितारे उस रात मैने आसमान को कुछ न सुनाया था मौसम है सूना सुना हर चौराहे का तपती दोपहरी में परिंदा भी न देख पाया था चुन चुन के सजाई थी शबनम रात ने जाने क्यूं आफताब कहर बन के छाया था Dr KR Prbodh ©K R Prbodh"

 नाम तेरा लिख लिख के मिटाया था
जब खत पड़ोसी के घर आया था

बह  गए  थे  साजो सामान  घर  के
निगाहों से अश्कों का दरिया बहाया था

दिखे थे टूटते सितारे उस रात
मैने आसमान को कुछ न सुनाया था

मौसम है सूना सुना हर चौराहे का
तपती दोपहरी में परिंदा भी न देख पाया था

चुन चुन के सजाई थी शबनम रात ने
जाने क्यूं आफताब कहर बन के छाया था

Dr KR Prbodh

©K R Prbodh

नाम तेरा लिख लिख के मिटाया था जब खत पड़ोसी के घर आया था बह गए थे साजो सामान घर के निगाहों से अश्कों का दरिया बहाया था दिखे थे टूटते सितारे उस रात मैने आसमान को कुछ न सुनाया था मौसम है सूना सुना हर चौराहे का तपती दोपहरी में परिंदा भी न देख पाया था चुन चुन के सजाई थी शबनम रात ने जाने क्यूं आफताब कहर बन के छाया था Dr KR Prbodh ©K R Prbodh

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