अभी तो समय हुआ नहीं था,
शाम अभी भी ढला नहीं था।
पर्दों को वह सुरत निहारना
अभी भी बाकी था,
सेल्युलयद का दिल भरा नहीं था।
अभी तो समय हुआ नहीं था,
शाम अभी भी ढला नहीं था।
मगर कुदरत के हसरत तो देखिये
वह आपके कुर्बत चाहते थे,
पर्दे के जलवे खुद के महफिल में चाहते थे।
शायद आप भी खबर से वाकिफ थे
वर्ना वह नींबू और शिकंजे वाला पैगाम आखिरी ना होता ,
करोड़ों के आँखों में नमी छोड़ कोई
युही रुखसत ना लेता।
एक गुजारिश उस रब से
आपको जन्नत नसीब हो पूरे हक से।।
____ Ru-ring niku
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