White कितना आसान है सब स्पष्ट कहना
फिर सबसे कहा क्यों नहीं जाता?
अगर कुछ लोग बहुत नायब है जीवन में,
तो ज़रा सा भला-बुरा उनका कहा..
हमसे सुना क्यों नहीं जाता?
अगर मिलता है सुकून
किसी खास के पास रहकर..
तो हमसे रहा क्यों नहीं जाता?
किसी की आवाज़ सुन भर लेने से
अगर मुश्किलें आसान लगती हैं..
तो फिर उससे कुछ कहा क्यों नहीं जाता?
अगर हर राह पर मिलने वाला शख़्स
एक दिन छोड़ने ही वाला है..
तो फिर हमसे रुका क्यूं नही जाता?
अगर किसी का दूर हो जाना ही
हमारे लिए उचित है,
तो ये जानते हुए भी
हमसे छोड़ा क्यूं नही जाता?
और अगर पहले वही शख़्स
खुद को दूर कर ले...
तो फिर हमसे सहा क्यूं नही जाता?
हम तो हर जवाब के हकदार थे ना
तो उस हक के लिए
फिर हमसे लड़ा क्यों नहीं जाता?
©जोतुष
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