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reshma kaur
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इस मोहब्बत के दाव - पेंच को हम नही समझ पा रहे, जहाँ जीतना भी तुम्हे चाहते है ; और हारना भी तुमसे ही। ©reshma kaur
1 Love
ज़रा सोच कर कुछ कहा करो, जो रिश्ते थे, उनके लम्हो को याद करा करो, एक तरफा अपना पन पाने के लिए, किसी अपने को बदनाम मत करा करो। ठीक है आप सच्चे हो, "शहद को चाशनी" संग ना चखा करो ज़रा सोच कर कुछ कहा करो..................... ©reshma kaur
बस ऐसे ही चले जाते है सब बिना कुछ बोले बिना कुछ कहे........................ ©reshma kaur
10 Love
मै अंदर ही अंदर कुछ सोच रही हूँ दूर नही ख़ुद मे ही कही खो रही हूँ इस उलझन की वज़ह तुम हो या मै बस वही सिरा खोज़ रही हूँ मैं अंदर ही अंदर कुछ सोच रही हूँ। ©reshma kaur
9 Love
बस एक ख्वाहिश ही तो थी जो बस शांत सी है.............................................. ©reshma kaur
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