हमर केश सहलायब की
एक क्षण संग बितायब की
किछु कहब की
तखन चाह बना लेब
चाह मे फेर चीनी कम होयत,
तइयो हमरा पीबय पड़त,
तखन हमरा अहाँक बात सुनय पड़त,
तखन हमर यादक जुर्माना होयत
अहाँ सब बात ठीक क' सकब की
अहाँक हृदय मे की अछि से कहब की
हम प्रायः ई सोचैत छी,
हमरा संग आहा आबि सकब की
कखनो काल दर्द सेहो होयत,
प्रेमक ऋतु ठंढा रहत,
ओहि दिन मे सेहो मुस्कुराबय लेल,
एहि संबंध के कायम राखय पड़त
एहन संबंध बनौने रहब की
आहा हमरा संग आबि सकब की
©Navneet Jha
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