ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि
हम हुनका हरेक महोत्सव मे किएक भेंट भ जायत छीये
प्रेम क के साथ छोड़ि देने छल ओ
हम बेर-बेर हुनका किएक मोन पड़ैत छी ये।
ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि
ओकरा बुझल छैक जे ओकर मोन एखनो चाहैत अछि हमरा
ई शब्द पढ़लाक बाद आँखि नम करबाक चाही
हमरा सेहो मोन पड़ैत अछि जखन हुनका मोन पड़ैत छी हम ।
ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि
कि ओकरा बुझल छैक जे ओ गप्प करबाक प्रयास क' रहल अछि
हमर क्रोध मनाबय के बहुत आदति सेहो हुनका बुझल छनि .
तखन हम फेर हुनका पर किएक नाराज छीये हुनका सेहो नीक जेना बुझल अछि।
©Navneet Jha
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