ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि हम ह | हिंदी Shayari

"ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि हम हुनका हरेक महोत्सव मे किएक भेंट भ जायत छीये प्रेम क के साथ छोड़ि देने छल ओ हम बेर-बेर हुनका किएक मोन पड़ैत छी ये। ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि ओकरा बुझल छैक जे ओकर मोन एखनो चाहैत अछि हमरा ई शब्द पढ़लाक बाद आँखि नम करबाक चाही हमरा सेहो मोन पड़ैत अछि जखन हुनका मोन पड़ैत छी हम । ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि कि ओकरा बुझल छैक जे ओ गप्प करबाक प्रयास क' रहल अछि हमर क्रोध मनाबय के बहुत आदति सेहो हुनका बुझल छनि . तखन हम फेर हुनका पर किएक नाराज छीये हुनका सेहो नीक जेना बुझल अछि। ©Navneet Jha"

 ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा  कहि नहि सकैत अछि
हम हुनका हरेक महोत्सव मे किएक भेंट भ जायत छीये 

प्रेम क के साथ छोड़ि देने छल ओ 
 हम  बेर-बेर हुनका किएक मोन पड़ैत छी ये।

ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा  कहि नहि सकैत अछि
ओकरा बुझल छैक जे ओकर मोन एखनो चाहैत अछि हमरा 

ई शब्द पढ़लाक बाद आँखि नम करबाक चाही
हमरा  सेहो मोन पड़ैत अछि जखन हुनका मोन पड़ैत  छी हम ।

ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि
कि ओकरा बुझल छैक जे ओ गप्प करबाक प्रयास क' रहल अछि

हमर क्रोध मनाबय के बहुत आदति सेहो हुनका बुझल छनि . 
तखन हम फेर हुनका पर किएक नाराज छीये हुनका सेहो नीक जेना बुझल अछि।

©Navneet Jha

ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि हम हुनका हरेक महोत्सव मे किएक भेंट भ जायत छीये प्रेम क के साथ छोड़ि देने छल ओ हम बेर-बेर हुनका किएक मोन पड़ैत छी ये। ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि ओकरा बुझल छैक जे ओकर मोन एखनो चाहैत अछि हमरा ई शब्द पढ़लाक बाद आँखि नम करबाक चाही हमरा सेहो मोन पड़ैत अछि जखन हुनका मोन पड़ैत छी हम । ओ अवश्य सोचि रहल हेतीह मुदा कहि नहि सकैत अछि कि ओकरा बुझल छैक जे ओ गप्प करबाक प्रयास क' रहल अछि हमर क्रोध मनाबय के बहुत आदति सेहो हुनका बुझल छनि . तखन हम फेर हुनका पर किएक नाराज छीये हुनका सेहो नीक जेना बुझल अछि। ©Navneet Jha

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