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Advocate by profession writer by passion. inst id-prashantparas2
सूरज के सब किरदारों से मिलकर के मैं जुगनू से हाथ मिलाना भूल गया । ©Prashant paras
Prashant paras
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दरिया से मैं ख़ुश्क जवानी मांग रहा हूँ यानी कि मैं रेत से पानी मांग रहा हूँ । ला, मेरे कांधे पर अपना सर रख दे नए सिरे से चीज पुरानी मांग रहा हूँ । ©Prashant paras
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कुछ ऐसे दर्द मेरे हिस्से में आये हैं जो साथ आ सकते थे किस्से में आये हैं मेरी उदासी देखकर हैरत न यूं जता ये जख्म तेरे ही दिए विरसे में आये हैं तुमको इक दिन सामने से देख क्या लिया ऐसे हुए मदहोश अब फुर्सत में आये हैं एक अरसे बाद माँ का आँचल हुआ नसीब ऐसा लगा मानो कि हम जन्नत में आये हैं मिलकर खुदा से एक दिन पूछूंगा ये सवाल क्या बस मजीद लोग तेरे पास आये हैं ।। ©Prashant paras
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हर दर्द छुपाकर रो जाना मुश्किल है आसां हो जाना। हर शख़्स यहां पर मुर्दा है आवाज़ उठाई तो जाना। ख़ुद को हमने हल्कान किया तब जाकर उसने पहचाना। ©Prashant paras
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