PANKAJ BATHLA

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मेरा नाम पंकज बठला है मैं मुलत : हरियाणा प्रान्त के शहर रेवाड़ी से ताल्लुक रखता हूँ लिखने का शौक बचपन से ही रहा थियेटर मैं भी कई भूमिकाए अदा की मैं हिंदी और पंजाबी भाषा मैं लिखता हूँ हिंदी भाषा को मैं अपनी माँ समझता हूँ वार्तालाप के लिए आप व्हाट्सप पर जुड़ सकते है 8950759572

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कई रंग हैं जिंदगी के इक रंग है बंदगी का मुझे सदा ही मिला मंज़र तिशनगी का मैंने दिन को रात से जुदा होते देखा है भला नशे की प्यालियों मेँ कहाँ नशा होता है लोग कहते हैं मैं डूब गया देखा हैं मैंने भी उनको करीब से बातों मेँ उनकी सिर्फ कहकशा होता है जिंदगी और कुछ भी नहीं बस अनलिखा तमाशा होता है l ©PANKAJ BATHLA

#Mic  कई रंग हैं जिंदगी के इक रंग है बंदगी का मुझे सदा ही मिला मंज़र तिशनगी का मैंने दिन को रात से जुदा होते देखा है भला नशे की प्यालियों मेँ कहाँ नशा होता है लोग कहते हैं मैं डूब गया देखा हैं मैंने भी उनको करीब से बातों मेँ उनकी सिर्फ कहकशा होता है जिंदगी और कुछ भी नहीं बस अनलिखा तमाशा होता है l

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#Mic

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शहर को छोड़ कर हम तेरे किधर जाएंगे खुशबू हैं हम हवाओं मेँ बिखर जाएंगे आओगे जब हमारी गली मेँ तुम दुआ, सलाम और तहज़ीब बस यही घर का पता छोड़ जाएंगे और कुछ नहीं मिलेगा तुम्हें मेंरे घर से पंकज चन डायरी के पन्ने, चारपाई, मटका और बुझा हुआ चिराग छोड़ जाएंगे l ©PANKAJ BATHLA

#Loneliness  शहर को छोड़ कर हम तेरे किधर जाएंगे खुशबू हैं हम हवाओं मेँ बिखर जाएंगे आओगे जब हमारी गली मेँ तुम दुआ, सलाम और तहज़ीब बस यही घर का पता छोड़ जाएंगे और कुछ नहीं मिलेगा तुम्हें मेंरे घर से पंकज चन डायरी के पन्ने, चारपाई, मटका और बुझा हुआ चिराग छोड़ जाएंगे l

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अरमान हमारे दिलों के टूटे कांच की तरह बिखर गए था जिन लोगों से रूहानी वास्ता हमारा ना जाने वो लोग किधर गए सैलाब उड़ा कर लें गया सर से हमारी छत को देखने को अब बस फोटो रह गए भीगे तो हम भी इस बार बहुत आसुओं की बारिश मेँ अब सिर्फ कागज़ों मेँ किस्से रह गए था जिन लोगो से रूहानी वास्ता हमारा ना जाने वो लोग किधर गए ©PANKAJ BATHLA

#SunSet  अरमान हमारे दिलों के टूटे कांच की तरह बिखर गए था जिन लोगों से रूहानी वास्ता हमारा ना जाने वो लोग किधर गए सैलाब उड़ा कर लें गया सर से हमारी छत को देखने को अब बस फोटो रह गए भीगे तो हम भी इस बार बहुत आसुओं की बारिश मेँ अब सिर्फ कागज़ों मेँ किस्से रह गए था जिन लोगो से रूहानी वास्ता हमारा ना जाने वो लोग किधर गए

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#SunSet

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Alone सिलसिला ए वक़्त कब रुकेगा पता नहीं मैं तुम्हें कब मिलूंगा पता नहीं पन्नों में यादें छोड़ जाऊंगा फिर मुझे कौन पढ़ेगा पता नहीं ©PANKAJ BATHLA

#alone  Alone  सिलसिला ए वक़्त कब रुकेगा पता नहीं मैं तुम्हें कब मिलूंगा पता नहीं पन्नों में यादें छोड़ जाऊंगा फिर मुझे कौन पढ़ेगा पता नहीं

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#alone

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आलोचना पॉज़िटिव वे में कोई किसी के बारे में कुछ कहे तो उनकी आलोचना करना ठीक नहीं होता अगर कोई किसी को गलत राय दे तो उसकी आलोचना करना उपयुक्त हैं लेकिन उम्र को देखते हुए हो सकता है की सामने वाले का तज़ुर्बा आपसे ज़्यादा हो ©PANKAJ BATHLA

#Criticisms  आलोचना  पॉज़िटिव वे में कोई किसी के बारे में कुछ कहे तो उनकी आलोचना करना ठीक नहीं होता अगर कोई किसी को गलत राय दे तो उसकी आलोचना करना उपयुक्त हैं लेकिन उम्र को देखते हुए हो सकता है की सामने वाले का तज़ुर्बा आपसे ज़्यादा हो

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किस्सा अधूरा रे गिया मेरी कहाणी दा बन्दा हूण भूल गिया स्वाद घड़े दे पाणी दा वक़्त हूण लंघ गिया नेक कमाई दा घराँ विच्चों गायब थी गिया मंजा चारपाई दा डूध माखण दे वेले गए डू आणे दी कुल्फी दे ठेले गए ©PANKAJ BATHLA

#sunrays  किस्सा अधूरा रे गिया मेरी कहाणी दा बन्दा हूण भूल गिया स्वाद घड़े दे पाणी दा वक़्त हूण लंघ गिया नेक कमाई दा घराँ विच्चों गायब थी गिया मंजा चारपाई दा डूध माखण दे वेले गए डू आणे दी कुल्फी दे ठेले गए

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#sunrays

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