Pradeep Sharma

Pradeep Sharma

साधारण व्यक्ति हूं।

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#पौराणिककथा  कहीं पर बांसुरी बजती,  कहीं पर रास होता है।
हमारे उर बसी धुन का, मधुर अहसास होता है।
कभी मटकी नयी फोड़ी, कभी माखन चुराया है।
कन्हैया लाल को फिर भी, सभी ने उर बसाया है।

©Pradeep Sharma

#Poetry

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सिंह जैसे जो दहाड़े, देश का अभिमान हो। सूर्य जैसी चमक राखे , हिंद पर बलिदान हो। शत्रुता ना हो किसी से, प्यार हो सम्मान हो। वीर पर मां भारती को, पुत्र सा अभिमान हो। ©Pradeep Sharma

#कविता  सिंह जैसे जो दहाड़े, देश का अभिमान हो।

सूर्य जैसी चमक राखे , हिंद पर बलिदान हो।

शत्रुता ना हो किसी से, प्यार हो सम्मान हो।

वीर पर मां भारती को, पुत्र सा अभिमान हो।

©Pradeep Sharma

#Poetry

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#poetrywith_pradeepsharma #लव  इश्क चाहतहीन होगा क्या करेगी दिल्लगी,
मन हवस में लीन होगा क्या करेगी दिल्लगी।
रोज प्रेमी प्रेमिका साथी बदल लेते यहां ,
जुर्म ये संगीन होगा क्या करेगी दिल्लगी।

©Pradeep Sharma

2122  2122  2122  212 जब तलक जिंदा रहा बस उलझनें आतीं रहीं, काम करने में सदा ही अड़चनें आती रहीं। ये हमारा वो पराया सोचकर जीता रहा, जब समझ आया नियम तब धड़कनें जाती रहीं। ©Pradeep Sharma

#pradeepsharma_ujjwalkavi #शायरी  2122  2122  2122  212
जब तलक जिंदा रहा बस उलझनें आतीं रहीं,
काम करने में सदा ही अड़चनें आती रहीं।
ये हमारा वो पराया सोचकर जीता रहा,
जब समझ आया नियम तब धड़कनें जाती रहीं।

©Pradeep Sharma

आंचल में छुपाकर के अपने,ममता के स्नेह से नहलाती है। वह करुणामयी, दयालु, ममता की मूरत "मां" कहलाती है। वो वात्सल्यमयी, महान, वसुधा पर नेक इरादा है। ईश्वर को नहीं देखा,पर वह ईश्वर से कहीं ज्यादा है। मंदिर की मूर्तियों में भी ,मां की तस्वीर नजर आती है। मां मेरे लिए कभी दुर्गा , तो कभी लक्ष्मी बन जाती है। ©Pradeep Sharma

#pradeepsharma_ujjwalkavi #कविता #HappyMothersDay #Mother  आंचल में छुपाकर के अपने,ममता के स्नेह से नहलाती है।
वह करुणामयी, दयालु, ममता की मूरत "मां" कहलाती है।
वो वात्सल्यमयी, महान, वसुधा पर नेक इरादा है।
ईश्वर को नहीं देखा,पर वह ईश्वर से कहीं ज्यादा है।
मंदिर की मूर्तियों में भी ,मां की तस्वीर नजर आती है।
मां मेरे लिए कभी दुर्गा , तो कभी लक्ष्मी बन जाती है।

©Pradeep Sharma

हे! प्रभु सबके सिर पर , मां की छत्र छाया बनाए रखना । ना चाहूं दुनिया की दौलत,बस मां का साथ बनाए रखना । दूर रह कर तुझसे हे! मां, मुझे तेरी याद पल पल सताती है , कुछ भी कर लूं हे! मां, आंखों से तेरी तस्वीर नहीं जाती है। जीवन रूपी इस नाटक में,मां का पात्र बड़ा खास होता , जिनके पास मां नहीं होती,उन्हें इसका अहसास होता है। वह मां ही है जो जग में, पहला प्यार कहलाती है, यह अटूट सत्य है कि, मां जीवन जीना सिखाती है। ©Pradeep Sharma

#pradeepsharma_ujjwalkavi #कविता #MothersDay  हे! प्रभु सबके सिर पर , मां की छत्र छाया बनाए रखना ।

ना चाहूं दुनिया की दौलत,बस मां का साथ बनाए रखना ।

दूर रह कर तुझसे हे! मां, मुझे तेरी याद पल पल सताती है ,

कुछ भी कर लूं हे! मां, आंखों से तेरी तस्वीर नहीं जाती है।

जीवन रूपी इस नाटक में,मां का पात्र बड़ा खास होता ,

जिनके पास मां नहीं होती,उन्हें इसका अहसास होता है।

वह मां ही है जो जग में, पहला प्यार कहलाती है,

यह अटूट सत्य है कि, मां जीवन जीना सिखाती है।

©Pradeep Sharma
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