इन वफ़ा के हर दर्द को मैं सहना चाहता हूँ
तू अपना बनाले मैं तुझमे खोना चाहता हूँ
अब वफ़ाएं तुझसे है तो जफ़ा भी तेरी सहेंगे
हाँ अब ये दिल तुम्हारा है हम तुझमे ही रहेंगे
वहाँ उलझनों में घिरा है मेरी मोहब्बत की कहानी.
यहाँ तो मैं भी उलझ गया हूँ, हाय ये कैसी है जवानी.
ये बे रूखी ज़िन्दगी में कहीं जान न निकल जाए.
तुम वापस लौट आओ ना, कहीं मेरे हाथो में जाम ना आ जाए.
©RaSm rahat
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here