एक रोज़ जुदा हो जाऊंगा ,ना जाने कहां खो जाऊंगा
तुम लाख पुकारो गे मुझको ,फिर लौट के में ना आऊंगा ।
जब तुम भी किसीसे रूठो गे,दिल टूटे गा और रोओगे
तब याद तुम्हें में आ आऊंगा,फिर लौट के में ना आऊंगा ।
जब दुनिया ठोकर मारेगी,ताने दे द कर मारे गी
तब याद तुम्हें में आऊंगा ,फिर लौट के में ना आऊंगा ।
जब घर से बाहर गलियों के ,,कोनों पर तन्हा बेठोगे
जब आते जाते चेहरों मे मेरा चेहरा ढूंढोगे
तब याद तुम्हें मै आउंगा,फिर लौट के में ना आऊंगा ।
थक हार के घर कामों से,जब रात को सोने जाओगे
देखोगे जब अपने फोन को,कोई पैगाम मेरा ना पाओगे
तब याद तुम्हें में आऊंगा,फिर लौट के में ना आऊंगा ।
एक रोज ये रिश्ता छूटेगा,दिल इतना ज्यादा टूटेगा
फिर कोई हम से ना रूठेगा,फिर में ना अँखिया खोलूंगा
फिर तुम से कभी ना बोलूँगा,आखिर उस दिन तुम रो दोगे
आखिर हम को खो दोगे,तुमे दोस्त किसे फिर बोलोगे
तब याद तुम्हें में आऊंगा ,
फिर लौट के में ना आऊगा ,
फिर लौट के में ना आऊंगा ।।
पाठक जी
©Pandit Bhanu Pratap Pathak
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