पहला इश्क।।
वो लड़कपन की मासूमियत से भरा होता हैं पहला इश्क,
कुछ अलग सी नई उम्मीदों से सजा होता हैं पहला इश्क,
एक हल्की सी झिझक, एक मासूम सी ललक,
ज़माने के मतलबी नातों से कुछ जुदा सा होता हैं पहला इश्क।
वो सावन की पहली बारिश सा सुहाना,
वो इज़हार करने में ज़रा डरता हैं पहला इश्क,
स्कूल के Free period से शुरु होकर,
कैंटीन की चाय के साथ परवान चढ़ता हैं पहला इश्क।
वो तितली सा नाजुक, सोने सा खरा, समन्दर सा गहरा,
अक्सर अधूरा सा होकर भी, पूरा सा लगता हैं पहला इश्क,
कई दफा तो एकतरफा,
और सच कहुँ तो औकात के बाहर वाला Crush होता हैं पहला इश्क।
-विशाल कुमार (छोटे ठाकुर)
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