Alone आओ मेरी राहों में , बात कुछ बतानी है
जो ग़ज़ल अधूरी थी, वो ग़ज़ल सुनानी है
याद है तुमको जानाँ, वो शरारती सी रातें,
जाओ छोड़ो जाने दो ,बात कुछ पुरानी है
तुमने मुझको मेट्रो में सबसे छुप कर चूमा था,
तुमको याद है अब तक ,क्या गज़ब कहानी है
तेरा मुझको जान कहना, और फिर रातों को जगाना
तेरी हर बात मुझको, याद बेजुबानी है
आज के दौर में तुझसा , कहां मैं मीत पाऊंगी
अब तो इश्क भी यहां होता जिस्मानी है
तुम कहते थे बला की खूबसूरत हूँ मैं
जो नज़रों से छुआ था तुमने, वो छुअन रूहानी है
कौन मुझको बाद तेरे इस तरह सम्भालेगा
इस जहां के क्या कहने, ये जहान फ़ानी है
कुछ देर और इंतज़ार है तेरा
फिर तो साँसों की कड़ी भी टूट जानी है
सच्चे इश्क़ की रिवायत पर खरे हम भी उतरे हैं
तभी तो अधूरी हम दोनों की कहानी है
आ रही हूँ जाना बस मोहलत और दो पल की
अपना भी मिलन उस रब ने लिखा आसमानी है
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