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White मैं जब भी सांस लेता हूं, तेरी ही खुशबू आती है। मेरे दिल में समा कर तू, मुझसे दूर जाती है। मैं ठहरा किनारे सा, तू बहती नदिया की धारा है। तुझे दुनिया प्यारी है, मुझे तो बस तू ही प्यारा है। ©Vishal Garg Visarg
Vishal Garg Visarg
11 Love
White जो भरा नहीं है भावों से जिसमें बहती रसधार नहीं। हृदय नहीं वो पत्थर है जिसमें स्वदेश के लिए प्यार नहीं।। बात करते हैं स्वतंत्रता की लड़ाई की-- चंद पंक्तियों के माध्यम से जानते हैं, कितने वीरों ने खुद को कुर्बान किया, तब हमने स्वतंत्रता का रसपान किया। मां बाप ने बेटा खोया बहनों ने भाई, कितनी स्त्रियों ने खोया पति, न जाने कितनी हुई सती। आजादी की खातिर जो फांसी के फंदे पर झूल गये, हम आजादी का आनंद लेते हुए उन सबको भूल गये।। जब भारत आजाद हो गया उस वक्त की बात करते हैं कुछ पंक्तियों के माध्यम से, अब वो ऐतिहासिक पल आया, भारत का तिरंगा खुले आसमान में लहराया। नया अध्याय लिखने की अब बारी थी, ये आजादी हमें जान से भी प्यारी थी। समय बीतता गया हालात बदलते गये कुछ पंक्तियों से जानते हैं कैसा है आधुनिक भारत- देश में अब धर्म, जाति का जय जयकारा है, नहीं बचा अब वो भाईचारा है। जिस भारत का सपना सबने देखा वो अभी अधूरा है, हम सबको मिलकर करना उसको पूरा है।। धर्म और जाति की राजनीति को हटाना है, भारत को विश्व गुरु बनाना है। जय हिन्द, जय भारत।। ©Vishal Garg Visarg
14 Love
White जब चला था, तब अकेला था। कामयाब हुआ तो, साथ लोगों का मेला था। जरा ठोकर लगी, उठने के लिए हाथ बढ़ाया। नज़रें घुमा के देखा तो, फिर से मैं अकेला था।। ©Vishal Garg Visarg
10 Love
*कर्मपथ* कर्म ही प्रधान है, कर्म ही महान है, एक क्षण भी आलस में, गंवा मत, गंवा मत, गंवा मत, कर्मपथ कर्मपथ कर्मपथ। तू न टलेगा कभी, तू न थमेगा कभी, तू न सहेगा कभी, रुक मत, रुक मत, रुक मत कर्मपथ कर्मपथ कर्मपथ। कर्म ही पूजा है, मनुष्य इसके बिना अधूरा है, सफलता का यही है, राजपथ राजपथ राजपथ, कर्मपथ कर्मपथ कर्मपथ। ©Vishal Garg Visarg
12 Love
Jai shree ram आज खुशियों का दिन आया है, अवधपुरी में चहुं ओर मंगल छाया है। आज सबके मन हर्षाए हैं, रामलला अपने महल में वापस आये हैं। जय श्री राम के नारों से देश गूंजा है, मेरे प्रभु श्री राम सा ना कोई दूजा है। राम राज्य अब आया है, देख नज़ारा अयोध्या का सभी के मन को भाया है। आज खुशियों का दिन आया है, अवधपुरी में चहुं ओर मंगल छाया है। ©Vishal Garg Visarg
15 Love
कोई उसे भी तो समझे, जो सबको समझाता है। उसके अपने भूखे न रहे, इसलिए ठंडा खाना खाता है।। अपनों की खुशियों के लिए, वह खुद को भूल जाता है। कुछ पैसे बचाने के लिए, रोजाना बस में धक्के खाता है।। जो कभी हर काम के लिए मां पर हुक्म चलाता था। आज वो चुपचाप खुद बनाकर खाता है।। वो लड़का है हंसते-हंसते, सारी जिम्मेदारी निभाता है। ©Vishal Garg Visarg
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