Brajendra Mishra

Brajendra Mishra Lives in Bengaluru, Karnataka, India

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#एक_शाम_पुलिस_के_नाम #कविसम्मेलन #25_अक्टूबर_2022 #Kavi_Sammelan_25Oct22 #Seoni_Madhya_Pradesh #Police_FlagDay_2022

#एक_शाम_पुलिस_के_नाम #25_अक्टूबर_2022 #seoni #kavisammelan #सिवनी #कविसम्मेलन अपनी जन्मभूमि (सिवनी) में पुलिस बल द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में कुछ पढ़ने सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। एक और बड़ी बात मेरे लिए यह भी थी कि पहली ही प्रस्तुति मेरी थी।

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🌺 हिन्दी साहित्य भारती 🌺 *हिन्दी साहित्य भारती की स्थापना और विकास* प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, झाँसी निवासी डॉ रवींद्र शुक्ल तथा उनके साथ देश के अनेक विद्वानों ने हिन्दी भाषा एवं हिन्दी साहित्य के उत्थान का संकल्प लेकर १५ जुलाई २०२० को हिन्दी साहित्य भारती नामक संस्था का गठन किया। अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ३५ देशों में हिन्दी साहित्य भारती सक्रिय है और भारत के २७ प्रदेशों में हमारी विधिवत रूप से गठित प्रदेश अनेक कार्य कारिणी सांगठनिक और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं तथा देश के शेष प्रदेशों में संयोजक एवं प्रभारी नियुक्त किए जा चुके हैं जो गठन की प्रक्रिया में सक्रिय हैं। अनेक प्रदेशों में जनपदों और महानगरों में भी हमारा संगठन खड़ा हो चुका है। १ अत्यन्त गौरव का विषय है कि हिन्दी साहित्य भारती से इस समय अनेक पूर्व राज्यपाल, अनेक विश्विद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति, प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिलब्ध साहित्यकार, नवोदित प्रतिभाशाली साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक हिन्दीप्रेमी और साहित्यनुरागी तन-मन-धन से तथा पूर्ण निष्ठा एवं समर्पणभाव से जुड़े हैं। केंद्रीय कमेटी के सदस्य,व कर्नाटक के प्रभारी प्रेम तन्मय के दिशा निर्देशन में कर्नाटक प्रदेश की कार्यकारणी गठित की गई , जिसमें शालिनी श्रीवास्तव - प्रदेश अध्यक्ष , श्री ब्रजेन्द्र मिश्रा - सह अध्यक्ष , सरिता सैल - उपाध्यक्ष, ममता शर्मा - प्रदेश सचिव , मनीष उपाध्याय - सह सचिव व पुष्पा त्रिपाठी कोषाध्यक्ष मनोनीत किये गये । *संस्था के उद्देश्य* संस्था के प्रमुख उद्देश्य निम्नवत हैं- १-भारत के गौरवशाली साहित्य एवं सांस्कृतिक चेतना को विश्व पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना। २- भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार दिलाना तथा इसके लिए आवश्यक कार्य योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करना। ३- वैश्विक स्तर पर हिन्दी की महत्ता (जिसमें भारत की सभी क्षेत्रीय बोलियाँ भी शामिल हैं) स्थापित करना और इस हेतु हिन्दी भाषा की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करना। ४- हिन्दी एवं भारत की सभा भाषाओं के साहित्यकारों को वैश्विक एवं राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना तथा समाजोपयोगी साहित्य को भिन्न-भिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल कराना। ५- हिन्दी के समृद्ध किन्तु आर्थिक रूप से कमजोर साहित्यकारों की उच्च स्तरीय कृतियों को प्रकाशित कराने की व्यवस्था कराना। ६- विश्व के हिन्दी साहित्यकारों को एक साथ एक मंच पर लाकर साहित्य के प्रदूषण को समाप्त करना। ७- विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों के माध्यम से मानवता के कल्याण हेतु भारत के आदर्श मानवीय जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुँचना तथा देश के बौद्धिक वातावरण को सकारात्मक दिशा देना। ८- *"इदं न मम, इदं राष्ट्राय"* तथा *"माता भूमि: पुत्रोहम पृथ्विया:"* के मंत्र को केंद्र में रखकर हिन्दी में साहित्य रचना करने वाले साहित्यकारों को प्रेरित करना, जिसके लिए पुरस्कार और प्रशिक्षण आदि का आयोजन करना। ९-हर प्रदेश के उत्कृष्ट हिन्दी साहित्यकारों को देश तथा विदेश के मंचों पर स्थान दिलाना। १०- हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य तथा हिन्दी के साहित्यकारों के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, गोष्ठियाँ, कवि सम्मेलन, परिसंवाद, साहित्यकार सम्मेलन आदि आयोजित करना। आज हिन्दी साहित्य भारती की केन्द्रीय तथा वैदेशिक व प्रादेशिक कार्यकारिणी की घोषणा की जा रही है। ये सभी केन्द्रीय कार्यकारिणी के मार्गदर्शन में काम करेगी। प्रेम तन्मय सदस्य - केंद्रीय कार्यकारिणी , प्रभारी कर्नाटक प्रदेश ©Brajendra Mishra

 🌺 हिन्दी साहित्य भारती 🌺

 *हिन्दी साहित्य भारती की स्थापना और विकास*
         
            प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, झाँसी निवासी डॉ रवींद्र शुक्ल तथा उनके साथ देश के अनेक विद्वानों ने हिन्दी भाषा एवं हिन्दी साहित्य के उत्थान का संकल्प लेकर १५ जुलाई २०२० को हिन्दी साहित्य भारती नामक संस्था का गठन किया। अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ३५ देशों में हिन्दी साहित्य भारती सक्रिय है और भारत के २७ प्रदेशों में हमारी विधिवत रूप से गठित प्रदेश अनेक कार्य कारिणी सांगठनिक और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं तथा देश के शेष प्रदेशों में संयोजक एवं प्रभारी नियुक्त किए जा चुके हैं जो गठन की प्रक्रिया में सक्रिय हैं। अनेक प्रदेशों में जनपदों और महानगरों में भी हमारा संगठन खड़ा हो चुका है। 
        १
        अत्यन्त गौरव का विषय है कि हिन्दी साहित्य भारती से इस समय अनेक पूर्व राज्यपाल, अनेक विश्विद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति,  प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिलब्ध साहित्यकार, नवोदित प्रतिभाशाली साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक हिन्दीप्रेमी और साहित्यनुरागी तन-मन-धन से तथा पूर्ण निष्ठा एवं समर्पणभाव से जुड़े हैं।
       
 केंद्रीय कमेटी के सदस्य,व कर्नाटक के प्रभारी प्रेम तन्मय के दिशा निर्देशन में कर्नाटक प्रदेश की कार्यकारणी गठित की गई , जिसमें  शालिनी श्रीवास्तव - प्रदेश अध्यक्ष ,
श्री ब्रजेन्द्र मिश्रा - सह अध्यक्ष , सरिता सैल - उपाध्यक्ष, ममता शर्मा - प्रदेश सचिव , मनीष उपाध्याय - सह सचिव व पुष्पा त्रिपाठी कोषाध्यक्ष मनोनीत किये गये ।

                    


*संस्था के उद्देश्य* 

 संस्था के प्रमुख उद्देश्य निम्नवत हैं-
१-भारत के गौरवशाली साहित्य एवं सांस्कृतिक चेतना को विश्व पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना। 
२- भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार दिलाना तथा इसके लिए आवश्यक कार्य योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करना।
३- वैश्विक स्तर पर हिन्दी की महत्ता (जिसमें भारत की सभी  क्षेत्रीय बोलियाँ भी शामिल हैं) स्थापित करना और इस हेतु हिन्दी भाषा की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करना। 
४- हिन्दी एवं भारत की सभा भाषाओं के साहित्यकारों को वैश्विक एवं राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना तथा समाजोपयोगी साहित्य को भिन्न-भिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल कराना। 
५- हिन्दी के समृद्ध किन्तु आर्थिक रूप से कमजोर साहित्यकारों की उच्च स्तरीय कृतियों को प्रकाशित कराने की व्यवस्था कराना।  
६- विश्व के हिन्दी साहित्यकारों को एक साथ एक मंच पर लाकर साहित्य के प्रदूषण को समाप्त करना।
७- विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों के माध्यम से मानवता के कल्याण हेतु भारत के आदर्श मानवीय जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुँचना तथा देश के बौद्धिक वातावरण को सकारात्मक दिशा देना। 
८- *"इदं न मम, इदं राष्ट्राय"* तथा *"माता भूमि: पुत्रोहम पृथ्विया:"* के मंत्र को केंद्र में रखकर हिन्दी में साहित्य रचना करने वाले साहित्यकारों को प्रेरित करना, जिसके लिए पुरस्कार और प्रशिक्षण आदि का आयोजन करना। 
९-हर प्रदेश के उत्कृष्ट हिन्दी साहित्यकारों को देश तथा विदेश के मंचों पर स्थान दिलाना। 
१०- हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य तथा हिन्दी के साहित्यकारों के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, गोष्ठियाँ, कवि सम्मेलन, परिसंवाद, साहित्यकार सम्मेलन आदि आयोजित करना।

      
         आज हिन्दी साहित्य भारती की केन्द्रीय  तथा वैदेशिक व प्रादेशिक कार्यकारिणी की घोषणा की जा रही है।  ये सभी केन्द्रीय कार्यकारिणी के मार्गदर्शन में काम करेगी।

                                  
  
 प्रेम तन्मय
                                     सदस्य - 
केंद्रीय कार्यकारिणी ,
प्रभारी कर्नाटक प्रदेश

©Brajendra Mishra

🌺 हिन्दी साहित्य भारती 🌺 *हिन्दी साहित्य भारती की स्थापना और विकास* प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, झाँसी निवासी डॉ रवींद्र शुक्ल तथा उनके साथ देश के अनेक विद्वानों ने हिन्दी भाषा एवं हिन्दी साहित्य के उत्थान का संकल्प लेकर १५ जुलाई २०२० को हिन्दी साहित्य भारती नामक संस्था का गठन किया। अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ३५ देशों में हिन्दी साहित्य भारती सक्रिय है और भारत के २७ प्रदेशों में हमारी विधिवत रूप से गठित प्रदेश अनेक कार्य कारिणी सांगठनिक और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं तथा देश के शेष प्रदेशों में संयोजक एवं प्रभारी नियुक्त किए जा चुके हैं जो गठन की प्रक्रिया में सक्रिय हैं। अनेक प्रदेशों में जनपदों और महानगरों में भी हमारा संगठन खड़ा हो चुका है। १ अत्यन्त गौरव का विषय है कि हिन्दी साहित्य भारती से इस समय अनेक पूर्व राज्यपाल, अनेक विश्विद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति, प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिलब्ध साहित्यकार, नवोदित प्रतिभाशाली साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक हिन्दीप्रेमी और साहित्यनुरागी तन-मन-धन से तथा पूर्ण निष्ठा एवं समर्पणभाव से जुड़े हैं। केंद्रीय कमेटी के सदस्य,व कर्नाटक के प्रभारी प्रेम तन्मय के दिशा निर्देशन में कर्नाटक प्रदेश की कार्यकारणी गठित की गई , जिसमें शालिनी श्रीवास्तव - प्रदेश अध्यक्ष , श्री ब्रजेन्द्र मिश्रा - सह अध्यक्ष , सरिता सैल - उपाध्यक्ष, ममता शर्मा - प्रदेश सचिव , मनीष उपाध्याय - सह सचिव व पुष्पा त्रिपाठी कोषाध्यक्ष मनोनीत किये गये । *संस्था के उद्देश्य* संस्था के प्रमुख उद्देश्य निम्नवत हैं- १-भारत के गौरवशाली साहित्य एवं सांस्कृतिक चेतना को विश्व पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना। २- भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार दिलाना तथा इसके लिए आवश्यक कार्य योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करना। ३- वैश्विक स्तर पर हिन्दी की महत्ता (जिसमें भारत की सभी क्षेत्रीय बोलियाँ भी शामिल हैं) स्थापित करना और इस हेतु हिन्दी भाषा की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करना। ४- हिन्दी एवं भारत की सभा भाषाओं के साहित्यकारों को वैश्विक एवं राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना तथा समाजोपयोगी साहित्य को भिन्न-भिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल कराना। ५- हिन्दी के समृद्ध किन्तु आर्थिक रूप से कमजोर साहित्यकारों की उच्च स्तरीय कृतियों को प्रकाशित कराने की व्यवस्था कराना। ६- विश्व के हिन्दी साहित्यकारों को एक साथ एक मंच पर लाकर साहित्य के प्रदूषण को समाप्त करना। ७- विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों के माध्यम से मानवता के कल्याण हेतु भारत के आदर्श मानवीय जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुँचना तथा देश के बौद्धिक वातावरण को सकारात्मक दिशा देना। ८- *"इदं न मम, इदं राष्ट्राय"* तथा *"माता भूमि: पुत्रोहम पृथ्विया:"* के मंत्र को केंद्र में रखकर हिन्दी में साहित्य रचना करने वाले साहित्यकारों को प्रेरित करना, जिसके लिए पुरस्कार और प्रशिक्षण आदि का आयोजन करना। ९-हर प्रदेश के उत्कृष्ट हिन्दी साहित्यकारों को देश तथा विदेश के मंचों पर स्थान दिलाना। १०- हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य तथा हिन्दी के साहित्यकारों के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, गोष्ठियाँ, कवि सम्मेलन, परिसंवाद, साहित्यकार सम्मेलन आदि आयोजित करना। आज हिन्दी साहित्य भारती की केन्द्रीय तथा वैदेशिक व प्रादेशिक कार्यकारिणी की घोषणा की जा रही है। ये सभी केन्द्रीय कार्यकारिणी के मार्गदर्शन में काम करेगी। प्रेम तन्मय सदस्य - केंद्रीय कार्यकारिणी , प्रभारी कर्नाटक प्रदेश ©Brajendra Mishra

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दिनांक- ३०/१०/२०२० विषय- चित्राधार लेखन विधा - हाइकू --------------------------------- १. जैसे ही झुका मैं चरणों को छूने मिला आशीष २. पाके आशीष हुआ पुण्य प्रतीत मिटा अज्ञान ३. सलाह मन मैं हुआ धनवान मिला सम्मान ४. मिटा अज्ञान पा के ये संस्कार जीवन सार ५. वे परिपूर्ण निज अनुभव से सिखाते बात ६. दिखाते राह तुम्हारा कल्याण ही उनकी चाह ७. करो आदर उत्तम व्यवहार सीखो संस्कार ------------------------------------ - ब्रजेन्द्र मिश्रा (स्वरचित) ----------------------------------- ©Brajendra Mishra

 दिनांक- ३०/१०/२०२०
विषय- चित्राधार लेखन
विधा - हाइकू
---------------------------------
१. जैसे ही झुका
मैं चरणों को छूने
मिला आशीष
२. पाके आशीष 
हुआ पुण्य प्रतीत
मिटा अज्ञान
३. सलाह मन
मैं हुआ धनवान
मिला सम्मान
४. मिटा अज्ञान
पा के ये संस्कार
जीवन सार
५. वे परिपूर्ण
निज अनुभव से
सिखाते बात
६. दिखाते राह
तुम्हारा कल्याण ही
उनकी चाह
७. करो आदर
 उत्तम व्यवहार
सीखो संस्कार
------------------------------------
- ब्रजेन्द्र मिश्रा
(स्वरचित)
-----------------------------------

©Brajendra Mishra

दिनांक- ३०/१०/२०२० विषय- चित्राधार लेखन विधा - हाइकू --------------------------------- १. जैसे ही झुका मैं चरणों को छूने मिला आशीष २. पाके आशीष हुआ पुण्य प्रतीत मिटा अज्ञान ३. सलाह मन मैं हुआ धनवान मिला सम्मान ४. मिटा अज्ञान पा के ये संस्कार जीवन सार ५. वे परिपूर्ण निज अनुभव से सिखाते बात ६. दिखाते राह तुम्हारा कल्याण ही उनकी चाह ७. करो आदर उत्तम व्यवहार सीखो संस्कार ------------------------------------ - ब्रजेन्द्र मिश्रा (स्वरचित) ----------------------------------- ©Brajendra Mishra

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#myvoice

#myvoice

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#Happy_independence_day #स्वतंत्रता_दिवस_पर_मेरी_स्वरचित_कविता 74 वां, ये आज़ादी दिवस है ,मिलकर हम सब भारत माँ के गुण गाएं। दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को,आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।1।। याद करें हम, आज वो लम्हें, कैसे हमने आज़ादी पाई थी। कितने हँसते हुए चढ़ गए सूली पर, जाने कितनों ने सीने पर गोली खाई थी।। शहीद हुए, जो आज़ादी की खातिर, आज हम सम्मान में उनके, दीप जलाएं। दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को, आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।2।। जातपात का मतभेद भुलाकर, मन को अपने सबल बनाएँ। एकता को विजय सूत्र बनाकर, भारत का स्वर्णिम कल बनाएँ।। ना धर्मवाद को दीवार बनाएँ, ना आरक्षण को ढाल बनाएँ। दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को, आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।3।। प्रांतवाद और भाषावाद को क्यूँ, वैमनस्यता सी दरार बनाएँ। आपस के सब भेद भुलाकर,अखंड भारत परिवार बनाएँ।। एकता के सूत्र में बंधकर, फिर भारत बेमिशाल बनाएँ। दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को, आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।4।। अगर गलत हों आप कहीं हो, तो खुद आगे बढ़ उसे स्वीकार करें। सहीं को सहीं और गद्दार को गद्दार कहें, क्यूँ व्यर्थ प्रतिकार करें।। धर्म से ऊपर देश रखें , राष्ट्रध्वज को स्वाभिमान बनाएँ। दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को, आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।5।। जन्मभूमि स्वर्ग से महान है, वंदेमातरम शान से गाएँ।। मैं रहूँ ना रहूँ, विश्वभाल पे चमकता हिंदुस्तान रहे, चलो ऐसा भाव जगाएँ। अनेकता में एकता सौंदर्य, ऐसे देश का स्वर्णिम भाल सजाएँ।। दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को, आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।6।। अब जात-पात और धर्मवाद की देश में ना दीवारें हों, रंगभेद, प्रांतवाद,और भाषावाद की मन में, ना दरारें हों, हर भारतीय के मन में सिर्फ राष्ट्रनिर्माण की आशा हो। हम सबकी फिर, सिर्फ राष्ट्रवाद ही भाषा हों।। राष्ट्रप्रेम का दीप जला अंतर्मन में ,आओ फिर से स्वर्णिम देश सजायें। दे सलामी इस राष्ट्रध्वज को ,आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।7।। ये देश मेरा न्यारा है, मुझे जान से प्यारा है। गर्व से कहतें है हम सब, सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है।। भारत माता की जय। वन्दे मातरम्। स्वतंत्रता दिवस अमर रहे।

#स्वतंत्रता_दिवस_पर_मेरी_स्वरचित_कविता #happy_independence_day #independenceday2020  #Happy_independence_day

#स्वतंत्रता_दिवस_पर_मेरी_स्वरचित_कविता 

74  वां, ये आज़ादी दिवस है ,मिलकर हम सब भारत माँ के गुण गाएं। 
दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को,आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।1।।

याद करें हम, आज वो लम्हें, कैसे हमने आज़ादी पाई थी।
कितने हँसते हुए चढ़ गए सूली पर, जाने कितनों ने सीने पर गोली खाई थी।।
शहीद हुए, जो आज़ादी की खातिर, आज हम सम्मान में उनके, दीप जलाएं।
दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को, आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।2।।

जातपात का मतभेद भुलाकर, मन को अपने सबल बनाएँ।
एकता को विजय सूत्र बनाकर, भारत का स्वर्णिम कल बनाएँ।।
ना धर्मवाद को दीवार बनाएँ, ना आरक्षण को ढाल बनाएँ।
दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को, आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।3।।

प्रांतवाद और भाषावाद को क्यूँ, वैमनस्यता सी दरार बनाएँ।
आपस के सब भेद भुलाकर,अखंड भारत परिवार बनाएँ।।
एकता के सूत्र में बंधकर, फिर भारत बेमिशाल बनाएँ।
दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को, आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।4।।

अगर गलत हों आप कहीं हो, तो खुद आगे बढ़ उसे स्वीकार करें।
सहीं को सहीं और गद्दार को गद्दार कहें, क्यूँ व्यर्थ प्रतिकार करें।।
धर्म से ऊपर देश रखें , राष्ट्रध्वज को स्वाभिमान बनाएँ।
दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को, आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।5।।

जन्मभूमि स्वर्ग से महान है, वंदेमातरम शान से गाएँ।।
मैं रहूँ ना रहूँ, विश्वभाल पे चमकता हिंदुस्तान रहे, चलो ऐसा भाव जगाएँ।
अनेकता में एकता सौंदर्य,  ऐसे देश का स्वर्णिम भाल सजाएँ।।
दे सलामी, इस राष्ट्रध्वज को, आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।6।।

अब जात-पात और धर्मवाद की देश में ना दीवारें हों, 
रंगभेद, प्रांतवाद,और भाषावाद की मन में, ना दरारें हों, 
हर भारतीय के मन में सिर्फ राष्ट्रनिर्माण की आशा हो।
हम सबकी फिर, सिर्फ राष्ट्रवाद ही भाषा हों।।
राष्ट्रप्रेम का दीप जला अंतर्मन में ,आओ फिर से स्वर्णिम देश सजायें।
दे सलामी इस राष्ट्रध्वज को ,आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएं।।7।।

ये देश मेरा न्यारा है, मुझे जान से प्यारा है।
गर्व से कहतें है हम सब, 
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है।।

भारत माता की जय। वन्दे मातरम्।  स्वतंत्रता दिवस अमर रहे।
#JalFlute

मोहन की अविरल भक्ति #JalFlute

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