Neha

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#कविता #sad_shayari  White अब बस मेरा हृदय मौन चाहता है, 
अविरल सी बहती इस जिंदगी में कुछ ठहराव चाहता है। 

कब तक मेरे शब्द चीखें कि मैं सत्य हूँ, सच्चाई हूँ, 
मैं भी हूँ इन्सान, दर्द मुझे भी होता है, मैं भी ईश्वर द्वारा बनाई हूँ। 

पर अब जिसे जो समझना है, वह मुझे वही समझे, 
मैं गलत नहीं हो जाऊंगी किसी के कहने भर से। 

मैं सही थी, हूँ और रहूंगी क्यों यह प्रमाण दूं? 
मैं नारी हूँ इसलिए क्यों हर बार माँ सीता जैसे अग्निपरीक्षा दूं? 

जैसी भी हूँ अच्छी हूँ, अब यही कहना चाहती हूँ, 
हाँ, मैं इस भागती सी जिंदगी में 'सुकून सा' ठहराव चाहती हूँ। 

अधरों पर मौन धर, आंखों में ज्वाला भर, 
अब अपनी कलम के जरिये ही सवाल करने वालों को जवाब देना चाहती हूँ। 

अब समझी हूँ, मौन का ये अर्थ है, बाकी सब व्यर्थ है, 
सारे वेदों को भी लील जाए, मौन इतना समर्थ है, इसलिए अब बस मैं मौन रहना चाहती हूँ। 
मौन से मिल कर स्वयं से मिलना चाहती हूँ

अब बस मेरा हृदय मौन चाहता है, 
अविरल सी बहती इस जिंदगी में कुछ ठहराव चाहता है। 

- नेहा

©Neha

#sad_shayari

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#शायरी #UskeHaath  न हक दे मुझे कुछ भी, पर साथ तो आने दे, 
है इश्क़ मेरा सच्चा, ये इश्क़ जताने दे, 
तू मुस्कुराती रहे हर लम्हा, तेरे सारे आसूं चुराने दे। 
न मिल सकें हम इस जन्म तो क्या हुआ, अगले जन्म के लिए महादेव मनाने दे।

©Neha

#UskeHaath

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#विचार #merevichar  White अपने अंदर के बच्चे को हमेशा जिंदा रखिये, 
हद से ज्यादा समझदारी भी रंगीन जीवन को बेरंग बना देती है।

©Neha

#merevichar

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#कविता #rainy_season  White सोचा था मैंने एक अश्क मेरी आँखों में न आने दोगे तुम, 
पर भूल गयी, मुझे हंसाने का वादा तो तुमने कभी किया ही नहीं। 


मेरे तो दिनभर के हर लम्हें में तुम रहते हो, 
पर भूल गयी जिस लम्हें में साथ हूँ तेरे मैं, 
तूने उस लम्हें को जिया ही नहीं। 


मेरी तो हर आस का सार ही हो तुम, 
पर भूल गयी तुमने खुद से उम्मीद रखने को कभी कहा ही नहीं। 


मैंने तो मान लिया तुमको इश्क़-ए-रब, 
पर भूल गयी तुमने तो मुझसे कभी इश्क़ किया ही नहीं। 

मेरी तो पूरी दुनिया, जिंदगी हो तुम, 
पर भूल गयी मेरा अस्तित्व तुम्हारी जिंदगी में कभी रहा ही नहीं। 

             लेकिन अब बस, 

याद रखना चाहतीं हूँ मैं सिर्फ खुद को, अपनी खुशियों को, अपने अस्तित्व को, 
क्योंकि तुमने तो मुझे याद कभी रखा ही नहीं।

©Neha

#rainy_season

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White            भारत माता के लाल   भारतीय सेना के पराक्रम के किस्से यूँ तो कम नहीं है,  1999 के कारगिल युद्ध की गाथा आज भी है सबको याद।  जब युद्ध में भारतीय जवानों ने 18 हजार फीट की खड़ी ऊंचाई और -10 डिग्री सेल्सियस तापमान पर था युद्ध लड़ा।  यूँ तो कारगिल युद्ध में राजेश सिंह अधिकारी, मेजर विवेक गुप्ता जैसे बहुत से थे वीर महान,  लेकिन उनमें एक जवान कैप्टन विक्रम बत्रा नाम जो कि जम्मू- कश्मीर राइफल्स की 13 वीं बटालियन में थे कप्तान।  'दिल मांगे मोर' का नारा लगा युद्ध में दुश्मनों को भगाया था,  बचपन से था सेना में जाने का मन सबको बहादुरी का पाठ का सिखाया था।  शरीर में घाव लेकर भी दुश्मनों को मार गिराया था।  श्रीनगर - लेह मार्ग की चोटी पर तिरंगा फहराया था।  इसी बहादुरी और निडरता के कारण ही वह "शेरशाह" कहलाया था।  जीवन अपना देश पर कर कुर्बान पहला भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान "परमवीर चक्र" सम्मान पाया था।  "तिरंगा लहराकर आऊंगा नहीं तो उसमें लिपट कर आऊंगा" कहने वाला आखिर शान से तिरंगे में ही लिपट कर आया था।  जिसने अपनी माँ से पहले समझा जन्मभूमि को, धन्य है वह जननी जिसने विक्रम बत्रा सा पुत्र पाया था।  विक्रम जी जैसे ही बहुत से हमारे वीर सैनिक जिनसे दुश्मन घबराया है।  गर्व है मुझे मैं ऐसे देश की बेटी जहाँ खतरे का सामना करते हुए भी दुर्गम चोटियों पर हमारे वीरों ने तिरंगा फहराया है।                                                                            - नेहा प्रसाद ©Neha

#kargil_vijay_diwas #कविता  White            भारत माता के लाल

 

भारतीय सेना के पराक्रम के किस्से यूँ तो कम नहीं है, 

1999 के कारगिल युद्ध की गाथा आज भी है सबको याद। 

जब युद्ध में भारतीय जवानों ने 18 हजार फीट की खड़ी ऊंचाई और -10 डिग्री सेल्सियस तापमान पर था युद्ध लड़ा। 

यूँ तो कारगिल युद्ध में राजेश सिंह अधिकारी, मेजर विवेक गुप्ता जैसे बहुत से थे वीर महान, 

लेकिन उनमें एक जवान कैप्टन विक्रम बत्रा नाम जो कि जम्मू- कश्मीर राइफल्स की 13 वीं बटालियन में थे कप्तान। 

'दिल मांगे मोर' का नारा लगा युद्ध में दुश्मनों को भगाया था, 

बचपन से था सेना में जाने का मन सबको बहादुरी का पाठ का सिखाया था। 

शरीर में घाव लेकर भी दुश्मनों को मार गिराया था। 

श्रीनगर - लेह मार्ग की चोटी पर तिरंगा फहराया था। 

इसी बहादुरी और निडरता के कारण ही वह "शेरशाह" कहलाया था।

 जीवन अपना देश पर कर कुर्बान पहला भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान "परमवीर चक्र" सम्मान पाया था। 

"तिरंगा लहराकर आऊंगा नहीं तो उसमें लिपट कर आऊंगा" कहने वाला आखिर शान से तिरंगे में ही लिपट कर आया था। 

जिसने अपनी माँ से पहले समझा जन्मभूमि को, धन्य है वह जननी जिसने विक्रम बत्रा सा पुत्र पाया था। 

विक्रम जी जैसे ही बहुत से हमारे वीर सैनिक जिनसे दुश्मन घबराया है। 

गर्व है मुझे मैं ऐसे देश की बेटी जहाँ खतरे का सामना करते हुए भी दुर्गम चोटियों पर हमारे वीरों ने तिरंगा फहराया है। 

                                                                          - नेहा प्रसाद

©Neha
#शायरी #sad_shayari  White जिंदगी में लोगों का मेला है, 
पर फिर भी दिल अकेला है। 

चेहरे पर चेहरे लगा रखें है सबने, 
हमारे साथ तो अपनों ने ही खेल खेला है। 


संभल कर चलों और सही चुनों
यहाँ भावनाओं का बनता मजाक है। 

कहना उससे दिल की बात जो  समझे तुम्हें, 
वरना तो चुप ही रहना  जीवन में भला हैं। 

- नेहा प्रसाद

©Neha

#sad_shayari

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