anupam Joshi

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मैं जिसे रात दिन गुनगुनाता हूँ वो अशआर ही गज़लों में पिरो पाता हूँ जब किसी जख्म को मलहम ना मिले मैं "अनुपम"ग़ज़ल बन उसको सहलाता हूँ अनुपम हल्द्वानवी

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तुम खूबसूरत हो, तभी तो मेरे अंतर्मन में उतरकर तुमनें आलिंगन कर लिया है मेरी रूह का मैंने कभी नही देखी तुम्हारे चेहरे की खूबसूरती मैने तो देखा केवल तुम्हारा दिल और दिल में पाया अपनापन  और वही अपनेपन को आत्मसात कर लिया है मैंने अपने दिल दिमाग में और कोशिश कर रहा हूँ मैं भी खूबसूरत तुम्हारी तरह बनने का..... अनुपम हल्द्वानवी ©anupam Joshi

#youarebeautiful  तुम खूबसूरत हो, तभी तो मेरे अंतर्मन में उतरकर तुमनें 
आलिंगन कर लिया है मेरी रूह का
मैंने कभी नही देखी तुम्हारे चेहरे की खूबसूरती
मैने तो देखा केवल तुम्हारा दिल
और दिल में पाया अपनापन 
और वही अपनेपन को आत्मसात कर लिया है
 मैंने अपने दिल दिमाग में और कोशिश कर रहा हूँ 
मैं भी खूबसूरत तुम्हारी तरह बनने का.....

अनुपम हल्द्वानवी

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कोरोना काल की अवधि में लिखी एक ग़ज़ल

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दुआओं पर नहीं दूरियों पर भरोसा कीजिए आप आजकल जरा फासलों से मिला कीजिए औऱ अगर एहतियात के बाद भी हो जाए कोरोना घबराइए मत अपने को घर मे आइसोलेट कीजिए मर्ज  ज्यादा  नही   बढ़ा   हो आपका अगर तो घर  मे  ही अपने फिर अपनी  चिकित्सा  कीजिए सांस   उखड़ने   लगी  अगर  आपकी  कभी भी तो  जरूर अपने चिकित्सक  से  मशवरा  कीजिए मजबूर  और  लाचार जो  भी  दिखे कभी आपको आपसे  गुजारिश है कि आप उनकी मदद कीजिए यहाँ  बहुतों  ने  खो  दिए हैं अपने लखते जिगर घर  से  बाहर  बहुत सावधानी से निकला कीजिए अस्पतालों में जगह नहीं बची अब आपके लिए लापरवाह ना होइए अपनी परवाह आप कीजिए "अनुपम" ये समय नहीं है राजनीतिक बातों का तनक़ीद छोड़कर एक दूसरे पर भरोसा कीजिए अनुपम हल्द्वानवी 9997896421 ©anupam Joshi

#गमछा  दुआओं  पर   नहीं   दूरियों  पर  भरोसा  कीजिए
आप  आजकल  जरा  फासलों  से मिला कीजिए 
औऱ अगर एहतियात के बाद भी हो जाए कोरोना
घबराइए मत अपने को घर मे आइसोलेट कीजिए
मर्ज   ज्यादा  नही   बढ़ा   हो   आपका  अगर तो
घर  मे  ही अपने फिर अपनी  चिकित्सा  कीजिए
सांस   उखड़ने   लगी  अगर   आपकी   कभी भी
तो  जरूर अपने चिकित्सक  से  मशवरा  कीजिए
मजबूर  और  लाचार जो  भी  दिखे कभी आपको
आपसे  गुजारिश है कि आप उनकी मदद कीजिए
यहाँ  बहुतों  ने  खो  दिए  हैं  अपने  लखते  जिगर
घर  से  बाहर  बहुत  सावधानी से निकला कीजिए
अस्पतालों में जगह  नहीं  बची अब  आपके  लिए
लापरवाह  ना होइए अपनी  परवाह  आप कीजिए
"अनुपम" ये  समय  नहीं  है  राजनीतिक बातों का
तनक़ीद  छोड़कर  एक  दूसरे  पर भरोसा कीजिए

अनुपम हल्द्वानवी
9997896421

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मैं जिसे रात दिन गुनगुनाता हूँ वो अशआर ही गज़लों में पिरो पाता हूँ जब किसी जख्म को मलहम ना मिले मैं "अनुपम"ग़ज़ल बन उसको सहलाता हूँ अनुपम हल्द्वानवी ©anupam Joshi

#Mic  मैं     जिसे     रात     दिन     गुनगुनाता हूँ


वो  अशआर  ही  गज़लों  में  पिरो पाता हूँ


जब  किसी  जख्म  को  मलहम  ना  मिले 


मैं "अनुपम"ग़ज़ल बन उसको सहलाता हूँ






अनुपम हल्द्वानवी

©anupam Joshi

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