Pankaj Priyam

Pankaj Priyam

मुसाफ़िर..लफ़्ज़ों का ख़ुद से बंधा,नियम हूँ मैं। लफ्ज़ समंदर,लहराता शब्दों से सधा,स्वयं हूँ मैं। साहित्य सृजन,सरिता प्रेम-पथिक,"प्रियम" हूँ मैं। ******************** विगत 20 वर्षों से लेखन और पत्रकारिता से जुड़े हैं।प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा के समय से ही कविता,गज़ल,नाटक कहानी,लेख और निबन्ध लिखते रहे हैं।बचपन में रंगमंच पर भी अभिनय के लिए कई बार पुरस्कृत।विभिन्न विधाओं में सैकड़ों रचनाएं देशभर की पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित। वर्ष 2001 से सक्रिय पत्रकारिता:-रांची एक्सप्रेस,दैनिक जागरण,हिन्दुस्तान,तरंग भर्ती,प्राइमरिपोर्ट,आकाशवाणी,ईटीवी,साधना,महुआ जैसे राष्ट्रीय व  क्षेत्रीय न्यूज चैनलों में कार्य का अनुभव। 'बिगुल आजकल' पत्रिका के प्रधान-संपादक। सम्प्रति झारखण्ड सरकार में संचार सलाहकार के रूप में कार्यरत और विभागीय पत्रिका "स्वच्छता प्रहरी" का संपादक । इसके अलावा कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन। कई डॉक्यूमेंट्री और लघु फ़िल्मों का निर्माण। स्थानीय फीचर फिल्मों के लिए भी लेखन और जनसम्पर्क कार्य। आकाशवाणी, रांची के समाचार एकांश में आ.संपादक,दूरदर्शन और रेडियो पर शोध-पत्र जारी। काव्य पाठ और मंच संचालन में भी सक्रिय भागीदारी।  सम्मान  * 11 वें अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन,ग़ाज़ियाबाद 2003 में  "साहित्य सेवी सम्मान" से अलंकृत।  * हिन्द गौरव सम्मान,2018 (साहित्य संगम) * साहित्य भूषण ,2018 (काव्य रंगोली) * अंतरंग सम्मान,2018,(अंतरंग,प्रयागराज) * काव्य सागर ,2018 ( साहित्य सागर) * कविता बहार सम्मान, 2019 ( कविता बहार) * अटल काव्य सम्मान, अप्रैल 2019,(आ.का.सा. मंच,सतना ) * अटल काव्य रत्न, मई 2019, (आ.का.सा. मंच,मध्यप्रदेश) * साहित्य समिधा, जून 2019( रांची),झारखंड) * स्वास्थ्य,स्वच्छता,शिक्षा एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सामाजिक सेवा।  *पुस्तकें 1.प्रेमांजली(काव्य संग्रह,बुक बजुका) 2.अंतर्नाद(काव्य संग्रह,बुक बजुका) 3.लफ्ज़ समंदर(काव्य संग्रह, बुक बजुका) 4.मेरी रचना(साझा संग्रह,रवीना प्रकाशन) 5.नारी-एक आवाज़(साझा काव्य संग्रह,सत्यम प्रकाशन) 6.मुझे छूना है आसमां(साझा काव्य संग्रह,सत्यम प्रकाशन) 7.पीरियड्स:द रेड ब्लड स्टोरी(कहानी संग्रह,) 8. सफ़र ज़िंदगी(गज़ल संग्रह,अमेजॉन) 9.माँ (साझा संग्रह, साहित्य पीडिया) 10. बड़ी ख़बर(लघुकथा संग्रह,अमेजॉन) 11. इश्क़ समंदर( प्रेम काव्य संग्रह,अमेजॉन) 12. साहित्य समिधा(साझा संग्रह, दीया प्रकाशन) शोध पत्र 1.ग्रामीण विकास में रेडियो की भूमिका(शोध-पत्र) 2.दूरदर्शन के कृषि कार्यक्रमों का प्रभाव(शोध-पत्र) ईटीवी बिहार/झारखण्ड *शिक्षा विभाग के खिलाफ बड़ा स्टिंग-ऑपरेशन सरस्वती(2006) *रामगढ़ थाना में स्टिंग-ऑपरेशन पासपोर्ट(2007) *निजी विवरण: पिता-आचार्य श्री भागवत पाठक माता-श्रीमति सर्वेश्वरी देवी जन्मतिथि-01 मार्च 1979 *पैतृक गांव- बसखारो,धर्मपुर जमुआ,गिरिडीह।815318 *स्कूली शिक्षा:-तिसरी,गिरिडीह *जन्म,कर्म और उच्च शिक्षा:-रांची। *जन्तु विज्ञान से स्नातक। 1.पत्रकारिता,2.जनसंचार,3.ग्रामीण विकास और 4.हिंदी विषय में स्नातकोत्तर। *कम्प्यूटर में डिप्लोमा। *प्रसार भारती से "वाणी" प्रमाण-पत्र। *सम्पर्क: 9006349249,7991179525

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#मनबंजारा #कविता  मन बंजारा

मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है।
चार दिनों की ज़िन्दगी, बस इतना गुजारा है।

ये मन भी कहाँ इक पल, चैन से सोता है,
ख़्वाब सजाये आँखों में, चैन ये खोता है।
चाहत के जुनूँ में मन, बस फिरता मारा है,
मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है।

ये तन भी कहाँ हरदम, साथ निभाता है,
बचपन से बुढापा तक,  हाथ बढ़ाता है।
गैरों से गिला कैसी? अपनों ने जारा है,
मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है।

तिनका-तिनका ये जीवन जोड़ता जाता है.
इक पल के बुलावे में सब छोड़ता जाता है।
साँसों की उधारी में धड़कन का सहारा है,
मन बंजारा तन बंजारा,  जीवन बंजारा है।

घनघोर निशा चाहे काली पर होता सबेरा है,
सुबह सुनहरी हो लाली फिर होता अँधेरा है।
वक्त से जंग लड़कर, खुद ही सब हारा है,
मन बंजारा तन बंजारा,  जीवन बंजारा है।

जीवन तो यहाँ हरक्षण, संघर्ष में जीता है,
अपनों से मिले आँसू, हरपल ये पीता है।
कुछ पल का बसेरा पर लगता क्यूँ प्यारा है?
मन बंजारा तन बंजारा, जीवन बंजारा है।

दौलत शोहरत और सूरत, केवल तो माया है,
सबकुछ छोड़के जाना ही, जो कुछ पाया है।
जो कर्म किया अच्छा, तब मिलता किनारा है,
मन बंजारा तन बंजारा, ये जीवन बंजारा है।
©पंकज प्रियम

©Pankaj Priyam
#कविता #navratri  *💐💐आप सभी को दुर्गाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं*💐💐💐

माँ गौरी
हरो माँ कष्ट जीवन का, सकल संताप हर लो माँ।
करूँ आराधना हरदम, सभी तुम पाप हर लो माँ। 
सदा खुशियां ही बाँटी है, किसी का दिल नहीं तोड़ा-
हुई अनजान से गलती, तो' फिर हर श्राप हर लो माँ।

©Pankaj Priyam

#navratri महागौरी

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Poetry Nights

Poetry Nights

Friday, 24 March | 01:42 am

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नाथ कहो शिवनाथ कहो तुम, बमबम भोलेशंकर प्यारे। गङ्गजटाधर चन्द्र सुशोभित, सर्प सजाये तन में सारे।। हाथ त्रिशूल सुसज्जित डमरू, नन्दी बैल चढ़े त्रिपुरारे। भक्तन को मझधार उबारत, दुष्टन को खुदनाथ सँहारे।। ©Pankaj Priyam

#कविता  नाथ कहो शिवनाथ कहो तुम, बमबम भोलेशंकर प्यारे।
गङ्गजटाधर चन्द्र सुशोभित, सर्प सजाये तन में सारे।।
हाथ त्रिशूल सुसज्जित डमरू, नन्दी बैल चढ़े त्रिपुरारे।
भक्तन को मझधार उबारत, दुष्टन को खुदनाथ सँहारे।।

©Pankaj Priyam

महादेव

9 Love

नाथ कहो शिवनाथ कहो तुम, बमबम भोलेशंकर प्यारे। गङ्गजटाधर चन्द्र सुशोभित, सर्प सजाये तन में सारे।। हाथ त्रिशूल सुसज्जित डमरू, नन्दी बैल चढ़े त्रिपुरारे। भक्तन को मझधार उबारत, दुष्टन को खुदनाथ सँहारे।। ©Pankaj Priyam

#कविता  नाथ कहो शिवनाथ कहो तुम, बमबम भोलेशंकर प्यारे।
गङ्गजटाधर चन्द्र सुशोभित, सर्प सजाये तन में सारे।।
हाथ त्रिशूल सुसज्जित डमरू, नन्दी बैल चढ़े त्रिपुरारे।
भक्तन को मझधार उबारत, दुष्टन को खुदनाथ सँहारे।।

©Pankaj Priyam

हर हर महादेव

7 Love

प्रेम निशान ताज़महल को मानते, सभी प्रेम आधार। कटे सभी वो हाथ जो, बने सृजन आकार।। मूरख मानुष मानते, उसको प्रेम प्रतीक। लहू सना इक मक़बरा, कैसे इश्क़ अतीक? शाहजहाँ का प्रेम तो, झूठ खड़ा बाजार। एक नही मुमताज़ थी, बेगम कई हजार।। उसके पहले बाद फिर, रखे कई सम्बंध। प्रेम नहीं बस वासना, केवल था अनुबंध।। सच्ची मूरत प्रेम की, जपे सभी जो नाम। राम हृदय सीता बसी, सीता में बस राम।। ताज़महल निर्माण में, कटे हुनर के हाथ। सेतु में सहयोग कर, मिला राम का साथ।। प्रेम शिला जल तैरते, सागर सेतु अपार। राम कृपा से गिलहरी, हुई अमर संसार।। माँ सीता के प्रेम में, विह्वल करुण निधान। सेतुबंध रामेश्वरम, अनुपम प्रेम निशान।। कवि पंकज प्रियम (*अतीक-श्रेष्ठ) ©Pankaj Priyam

#कविता #sagarkinare  प्रेम निशान
ताज़महल को मानते, सभी प्रेम आधार।
कटे सभी वो हाथ जो, बने सृजन आकार।।

मूरख मानुष मानते, उसको प्रेम प्रतीक।
लहू सना इक मक़बरा, कैसे इश्क़ अतीक?

शाहजहाँ का प्रेम तो, झूठ खड़ा बाजार।
एक नही मुमताज़ थी, बेगम कई हजार।।

उसके पहले बाद फिर, रखे कई सम्बंध।
प्रेम नहीं बस वासना, केवल था अनुबंध।।

सच्ची मूरत प्रेम की, जपे सभी जो नाम।
राम हृदय सीता बसी, सीता में बस राम।।

ताज़महल निर्माण में, कटे हुनर के हाथ।
सेतु में सहयोग कर, मिला राम का साथ।।

प्रेम शिला जल तैरते, सागर सेतु अपार।
राम कृपा से गिलहरी, हुई अमर संसार।।

माँ सीता के प्रेम में, विह्वल करुण निधान।
सेतुबंध रामेश्वरम, अनुपम प्रेम निशान।।
कवि पंकज प्रियम
(*अतीक-श्रेष्ठ)

©Pankaj Priyam

प्रेम प्रतीक #sagarkinare

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