S.RaiComefromheart

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Sunil Kumar Rai

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White बेशक़्ल रहने दो, मुझे बेनाम रहने दो सर पे मेरे‌ हजारों ही इल्ज़ाम रहने दो तमाम रात तेरी,महवे ख़्वाब में गुज़रे मेरे हिस्से में यह उदास शाम रहने दो वो यादें तेरी चुभती है जो नश्तर जैसी रहने दो मेरे संग ही,है‌ आराम रहने दो दुआ या करम का,मैं हक़दार कहाँ हूँ बड़े सुकूं से हूँ,गर्दिशे अय्याम रहने दो कोईरोज़ समंदर के साहिल की रेत पे हमदोनों ने लिखे थे, वो नाम रहने दो ज़िंदगी फ़क़त है दौर ए सफर ऐ दोस्त ख़्वाबों, ख़्यालों का एहतमाम रहने दो!! ©S.RaiComefromheart

#love_shayari  White बेशक़्ल रहने दो, मुझे बेनाम रहने दो
सर पे मेरे‌ हजारों ही इल्ज़ाम रहने दो

तमाम रात तेरी,महवे ख़्वाब में गुज़रे
मेरे हिस्से में यह उदास शाम रहने दो

वो यादें तेरी चुभती है जो नश्तर जैसी
रहने दो मेरे संग ही,है‌ आराम रहने दो 

दुआ या करम का,मैं हक़दार कहाँ हूँ
बड़े सुकूं से हूँ,गर्दिशे अय्याम रहने दो

कोईरोज़ समंदर के साहिल की रेत पे
हमदोनों ने  लिखे थे, वो नाम रहने दो

ज़िंदगी फ़क़त है दौर ए सफर ऐ दोस्त
ख़्वाबों, ख़्यालों का एहतमाम रहने दो!!

©S.RaiComefromheart

#love_shayari

11 Love

दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की, मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा.. अकड होती तो, कब का टूट गया होता, मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा.. बदले यहाँ लोगों ने, रंग अपने-अपने ढंग से, रंग मेरा भी निखरा पर, मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा.. जिनको जल्दी थी, वो बढ़ चले मंज़िल की ओर, मैं समन्दर से राज, गहराई से सीखता रहा..!! ©S.RaiComefromheart

 दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा
 मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा..

छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की,
 मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा..

अकड होती तो, कब का टूट गया होता,
 मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा..

बदले यहाँ लोगों ने, रंग अपने-अपने ढंग से,
 रंग मेरा भी निखरा पर, मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा..

जिनको जल्दी थी, वो बढ़ चले मंज़िल की ओर,
 मैं समन्दर से राज, गहराई से सीखता रहा..!!

©S.RaiComefromheart

दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की, मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा.. अकड होती तो, कब का टूट गया होता, मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा.. बदले यहाँ लोगों ने, रंग अपने-अपने ढंग से, रंग मेरा भी निखरा पर, मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा.. जिनको जल्दी थी, वो बढ़ चले मंज़िल की ओर, मैं समन्दर से राज, गहराई से सीखता रहा..!! ©S.RaiComefromheart

16 Love

दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की, मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा.. अकड होती तो, कब का टूट गया होता, मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा.. बदले यहाँ लोगों ने, रंग अपने-अपने ढंग से, रंग मेरा भी निखरा पर, मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा.. जिनको जल्दी थी, वो बढ़ चले मंज़िल की ओर, मैं समन्दर से राज, गहराई से सीखता रहा..!! ©S.RaiComefromheart

 दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा
 मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा..

छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की,
 मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा..

अकड होती तो, कब का टूट गया होता,
 मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा..

बदले यहाँ लोगों ने, रंग अपने-अपने ढंग से,
 रंग मेरा भी निखरा पर, मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा..

जिनको जल्दी थी, वो बढ़ चले मंज़िल की ओर,
 मैं समन्दर से राज, गहराई से सीखता रहा..!!

©S.RaiComefromheart

दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की, मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा.. अकड होती तो, कब का टूट गया होता, मैं था नाज़ुक डाली, जो सबके आगे झुकता रहा.. बदले यहाँ लोगों ने, रंग अपने-अपने ढंग से, रंग मेरा भी निखरा पर, मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा.. जिनको जल्दी थी, वो बढ़ चले मंज़िल की ओर, मैं समन्दर से राज, गहराई से सीखता रहा..!! ©S.RaiComefromheart

15 Love

एक हमसफ़र हमदर्द, यार चाहता हूं । नफ़रत की दुनिया में प्यार चाहता हूं ।। तुझसे और कुछ नहीं चाहता ये दिल । तेरे पास में आना,बार बार चाहता हूं।। समझा कि मोहब्बत में झुकते हैं सर । मैं मोहब्बत में होना खुद्दार चाहता हूं ।। मैं पंछियों को भी कर देता हूं आज़ाद । लेकिन तुझको दिल में गिरफ्तार चाहता हूं ।। दिमाग कहता है,हज़ार हैं तेरे जैसे । लेकिन उस हज़ार में सिर्फ तुझे चाहता हूं ।। ©S.RaiComefromheart

 एक हमसफ़र हमदर्द, यार चाहता हूं ।
नफ़रत की दुनिया में प्यार चाहता हूं ।।

तुझसे और कुछ नहीं चाहता ये दिल ।
तेरे पास में आना,बार बार चाहता हूं।।

समझा कि मोहब्बत में झुकते हैं सर ।
मैं मोहब्बत में होना खुद्दार चाहता हूं ।।

मैं पंछियों को भी कर देता हूं आज़ाद ।
लेकिन तुझको दिल में गिरफ्तार चाहता हूं ।।

दिमाग कहता है,हज़ार हैं तेरे जैसे ।
लेकिन उस हज़ार में सिर्फ तुझे चाहता हूं ।।

©S.RaiComefromheart

एक हमसफ़र हमदर्द, यार चाहता हूं । नफ़रत की दुनिया में प्यार चाहता हूं ।। तुझसे और कुछ नहीं चाहता ये दिल । तेरे पास में आना,बार बार चाहता हूं।। समझा कि मोहब्बत में झुकते हैं सर । मैं मोहब्बत में होना खुद्दार चाहता हूं ।। मैं पंछियों को भी कर देता हूं आज़ाद । लेकिन तुझको दिल में गिरफ्तार चाहता हूं ।। दिमाग कहता है,हज़ार हैं तेरे जैसे । लेकिन उस हज़ार में सिर्फ तुझे चाहता हूं ।। ©S.RaiComefromheart

11 Love

एक हमसफ़र हमदर्द, यार चाहती हूं । नफ़रत की दुनिया में प्यार चाहती हूं ।। तुझसे और कुछ नहीं चाहती ये दिल । तेरे पास में आना,बार बार चाहता हूं।। समझा कि मोहब्बत में झुकते हैं सर । मैं मोहब्बत में होना खुद्दार चाहता हूं ।। मैं पंछियों को भी कर देता हूं आज़ाद । लेकिन तुझको दिल में गिरफ्तार चाहता हूं ।। दिमाग कहता है,हज़ार हैं तेरे जैसे । लेकिन उस हज़ार में सिर्फ तुझे चाहता हूं ।। ©S.RaiComefromheart

 एक हमसफ़र हमदर्द, यार चाहती हूं ।
नफ़रत की दुनिया में प्यार चाहती हूं ।।

तुझसे और कुछ नहीं चाहती ये दिल ।
तेरे पास में आना,बार बार चाहता हूं।।

समझा कि मोहब्बत में झुकते हैं सर ।
मैं मोहब्बत में होना खुद्दार चाहता हूं ।।

मैं पंछियों को भी कर देता हूं आज़ाद ।
लेकिन तुझको दिल में गिरफ्तार चाहता हूं ।।

दिमाग कहता है,हज़ार हैं तेरे जैसे ।
लेकिन उस हज़ार में सिर्फ तुझे चाहता हूं ।।

©S.RaiComefromheart

एक हमसफ़र हमदर्द, यार चाहती हूं । नफ़रत की दुनिया में प्यार चाहती हूं ।। तुझसे और कुछ नहीं चाहती ये दिल । तेरे पास में आना,बार बार चाहता हूं।। समझा कि मोहब्बत में झुकते हैं सर । मैं मोहब्बत में होना खुद्दार चाहता हूं ।। मैं पंछियों को भी कर देता हूं आज़ाद । लेकिन तुझको दिल में गिरफ्तार चाहता हूं ।। दिमाग कहता है,हज़ार हैं तेरे जैसे । लेकिन उस हज़ार में सिर्फ तुझे चाहता हूं ।। ©S.RaiComefromheart

11 Love

.. वेदना इतनी हृदय में, की जीवन मृत्यु तुल्य प्रतीत होने लगे, किन्तु प्रेम इतना की तुम्हारा माथे पर चूमना इस देह में पुनः प्राण भर दे.... ©S.RaiComefromheart

 ..     वेदना इतनी हृदय में, की जीवन 
     मृत्यु तुल्य प्रतीत होने लगे,
          किन्तु प्रेम इतना की तुम्हारा माथे पर 
            चूमना इस देह में पुनः प्राण भर दे....

©S.RaiComefromheart

.. वेदना इतनी हृदय में, की जीवन मृत्यु तुल्य प्रतीत होने लगे, किन्तु प्रेम इतना की तुम्हारा माथे पर चूमना इस देह में पुनः प्राण भर दे.... ©S.RaiComefromheart

17 Love

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