Rajbir Khorda

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कवियामि वयामि यामि

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White तजरबा खुद करें तो अच्छा है मशवरा फिर वो दें तो अच्छा है काम मुश्किल जरा सा है, फिर भी झूठ पर सच चुनें तो अच्छा है ठोकरों को नहीं पता होता देखकर हम चलें तो अच्छा है रात को रात रहने देते हैं दिन अगर दिन रहें तो अच्छा है अनगिनत शक्ल तो रखी हमने आइने भी रखें तो अच्छा है 'राज'अपने में हम हैं अच्छे ही अच्छे उनको लगें तो अच्छा है ©Rajbir Khorda

#शायरी #Sad_Status  White तजरबा खुद करें तो अच्छा है
मशवरा फिर वो दें तो अच्छा है

काम मुश्किल जरा सा है, फिर भी
झूठ पर सच चुनें तो अच्छा है

ठोकरों को नहीं पता होता
देखकर हम चलें तो अच्छा है

रात को रात रहने देते हैं
दिन अगर दिन रहें तो अच्छा है

अनगिनत शक्ल तो रखी हमने
आइने भी रखें तो अच्छा है

'राज'अपने में हम हैं अच्छे ही
अच्छे उनको लगें तो अच्छा है

©Rajbir Khorda

#Sad_Status

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White बे-वजह उनकी आस कर बैठे दिल को यूं ही उदास कर बैठे उनके सौ के हजार करने में अपने सौ के पचास कर बैठे दूर जाना था, दूर जाने में पास को और पास कर बैठे ढूंढने दोस्त ही गये थे हम कितने दुश्मन तलाश कर बैठे पैरहन खुशबुओं के मुश्किल थे दर्द को ही लिबास कर बैठे राज ©Rajbir Khorda

#शायरी #GoodMorning  White बे-वजह उनकी आस कर बैठे
दिल को यूं ही उदास कर बैठे

उनके सौ के हजार करने में
अपने सौ के पचास कर बैठे

दूर जाना था, दूर जाने में
पास को और पास कर बैठे

ढूंढने दोस्त ही गये थे हम
कितने दुश्मन तलाश कर बैठे

पैरहन खुशबुओं के मुश्किल थे
दर्द को ही लिबास कर बैठे

राज

©Rajbir Khorda

#GoodMorning

11 Love

White याद राखियो उण के बलिदानां नै वै कुद्दे रण म्ह मार मंडासी किस खात्तर रै ठाये थे हथियार गंडासी किस खात्तर ओढकै भगमा ऐड उक्कासी किस खात्तर हाड फूक कै जोत या चासी किस खात्तर गये जेल अर सही यातना किस खात्तर भोग्गे कस्ट हजार चौरासी किस खात्तर भुल्लो मत क्यूं जान की बाजी लाग्ये थे छोड़ ठिकाणा हुये परवासी किस खात्तर 'राज' याद राखियो उण के बलिदानां नै वै हंसते हंसते चढग्ये फाँसी किस खात्तर राजबीर खोरड़ा ©Rajbir Khorda

#happy_independence_day #कविता  White याद राखियो उण के बलिदानां नै

वै कुद्दे रण म्ह मार मंडासी किस खात्तर
रै ठाये थे हथियार गंडासी किस खात्तर

ओढकै भगमा ऐड उक्कासी किस खात्तर
हाड फूक कै जोत या चासी किस खात्तर

गये जेल अर सही यातना किस खात्तर
भोग्गे कस्ट हजार चौरासी किस खात्तर

भुल्लो मत क्यूं जान की बाजी लाग्ये थे
छोड़ ठिकाणा हुये परवासी किस खात्तर

'राज' याद राखियो उण के बलिदानां नै
वै हंसते हंसते चढग्ये फाँसी किस खात्तर

राजबीर खोरड़ा

©Rajbir Khorda

White आज आया तो लगा कल ठीक था जो हुआ है हो गया चल ठीक था खामखां कुछ बोलने से चुप भली कहना बूढों का दरअसल ठीक था बढ़ गई बेचैनियाँ लेकर दवा दर्द रहता था मुसलसल ठीक था छाया को तरसे तो आया याद अब घर के आँगन में वो पीपल ठीक था था नहीं इन हादसों का डर कभी भागती गाड़ी से पैदल ठीक था तुम अकलमंदों में रह के ठीक थे मैं रहा पागल तो पागल ठीक था ©Rajbir Khorda

#कविता #Yoga  White आज आया तो लगा कल ठीक था
जो हुआ है हो गया चल ठीक था

खामखां कुछ बोलने से चुप भली
कहना बूढों का दरअसल ठीक था

बढ़ गई बेचैनियाँ लेकर दवा
दर्द रहता था मुसलसल ठीक था 

छाया को तरसे तो आया याद अब
घर के आँगन में वो पीपल ठीक था

था नहीं इन हादसों का डर कभी
भागती गाड़ी से पैदल ठीक था

तुम अकलमंदों में रह के ठीक थे
मैं रहा पागल तो पागल ठीक था

©Rajbir Khorda

#Yoga

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White जमीदार के शिमला ,मसूरी ,दून खेतां म्ह न्यू ए कटणी उसकी सारी जून खेतां म्ह बारह मीहने काम करे जा छुट्टी ना होती हो संडे मंडे ऑफ कदे भी ड्यूटी ना होती पूरे साल सातों दिन हों बिरून खेतां म्ह हिल स्टेशन देख्योड़ा ना, बीच का बेरा गरमी सरदी चाहे चोमासा एक सै डेरा हो घूमणा सैर सपाटे सुकून खेतां म्ह घाम का हो फेस पैक अर पोडर रेत आळा महक पसीने आळी उठ्ठै सैंट कसूता चाळा ब्युटी पार्लर, मेकप रूम, सलून खेतां म्ह AC कमरे नहीं धूप म्ह चाम सेकणी हो सै फौजी ढाळा देश भलाई, देह टेकणी हो सै एक बहावै बोड्डर पै एक खून खेतां म्ह ©Rajbir Khorda

#शायरी #rajdhani_night  White जमीदार के शिमला ,मसूरी ,दून खेतां म्ह
न्यू ए कटणी उसकी सारी जून खेतां म्ह

बारह मीहने काम करे जा छुट्टी ना होती
हो संडे मंडे ऑफ कदे भी ड्यूटी ना होती
पूरे साल सातों दिन हों बिरून खेतां म्ह

हिल स्टेशन देख्योड़ा ना, बीच का बेरा
गरमी सरदी चाहे चोमासा एक सै डेरा
हो घूमणा सैर सपाटे सुकून खेतां म्ह

घाम का हो फेस पैक अर पोडर रेत आळा
महक पसीने आळी उठ्ठै सैंट कसूता चाळा
ब्युटी पार्लर, मेकप रूम, सलून खेतां म्ह

AC कमरे नहीं धूप म्ह चाम सेकणी हो सै 
फौजी ढाळा देश भलाई, देह टेकणी हो सै
एक बहावै बोड्डर पै एक खून खेतां म्ह

©Rajbir Khorda

White अपने पिता को समर्पित कुछ पँक्तियाँ.... हाथ पकड़ कैं तेरा हामनै, चालणा सीख्या था बाब्बू पकड़ आंगली तेरी हामनै , धरती पै टेक्या पा बाब्बू आँधी म्हं आगै अड़कैं, बारीश म्हं छतरी बण कैं तनै ओट करी कुनबे की, जाड्डे म्हं कम्बळ बण कैं गरम दोपहरी जेठ के म्हं, तू पीपळ की छां बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू माँगण तैं पहल्यां तनै, पूरी करी फरमायश म्हारी रोटी कपड़ा, खेल खल्होणे, जो भी थी ख्वायश म्हारी म्हारे तैं दी चुपड़ी रोटी, तनै रूखी सूखी खा बाब्बू पकड़ आँगली तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू जद दुखण लागै पा मेरे, था त्यार तेरा कँधा बाब्बू ठोकर खा कै पड़ज्यां था, तो तू लेवै था ठा बाब्बू जद हो ग्या घोर अँधेरा था, तनै दिखाई राह बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू आठ जणे थे खाण आळे, तू एक जणा कमावणिया आठ जणे उळझावणिये, तू एक जणा सुळझावणिया क्यूकर कुणबा पाळ्या था,तनै के के मुश्किल ठा बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू तनै मारे पीट्टे धमकाये, बहोत बार छो म्हं आ कैं फेर लाड प्यार तैं पुचकारे, अपणे काळजे कै लाकैं भीतर तैं नरम मलाई था, तू बाहर तैं करड़ा बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू क्यूं हामनै धमकाया करता, क्यूं हामनै तू रोकै था क्यूं बार बार समझाया करता, बात बात पै टोकै था ईब समझ म्हं आया सै , जद मैं बाब्बू बणग्या बाब्बू पकड़ आँगली तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू हाथ पकड़ कैं तेरा हामनै, चालणा सीख्या था बाब्बू राजबीर खोरड़ा 21/06/2020 ©Rajbir Khorda

#कविता #fathers_day  White अपने पिता को समर्पित कुछ पँक्तियाँ....

हाथ पकड़ कैं तेरा हामनै, चालणा सीख्या था बाब्बू
पकड़ आंगली तेरी हामनै , धरती पै टेक्या पा बाब्बू

आँधी म्हं आगै अड़कैं, बारीश म्हं छतरी बण कैं
तनै ओट करी कुनबे की, जाड्डे म्हं कम्बळ बण कैं
गरम दोपहरी जेठ के म्हं, तू पीपळ की छां बाब्बू
पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू

माँगण तैं पहल्यां तनै, पूरी करी फरमायश म्हारी
रोटी कपड़ा, खेल खल्होणे, जो भी थी ख्वायश म्हारी
म्हारे तैं दी चुपड़ी रोटी, तनै रूखी सूखी खा बाब्बू
पकड़ आँगली तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू

जद दुखण लागै पा मेरे, था त्यार तेरा कँधा बाब्बू
ठोकर खा कै पड़ज्यां था, तो तू लेवै था ठा बाब्बू
जद हो ग्या घोर अँधेरा था, तनै दिखाई राह बाब्बू
पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू

आठ जणे थे खाण आळे, तू एक जणा कमावणिया
आठ जणे उळझावणिये, तू एक जणा सुळझावणिया
क्यूकर कुणबा पाळ्या था,तनै के के मुश्किल ठा बाब्बू
पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू

तनै मारे पीट्टे धमकाये, बहोत बार छो म्हं आ कैं
फेर लाड प्यार तैं पुचकारे, अपणे काळजे कै लाकैं
भीतर तैं नरम मलाई था, तू बाहर तैं करड़ा बाब्बू
पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू

क्यूं हामनै धमकाया करता, क्यूं हामनै तू रोकै था
क्यूं बार बार समझाया करता, बात बात पै टोकै था
ईब समझ म्हं आया सै , जद मैं बाब्बू बणग्या बाब्बू
पकड़ आँगली तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू
हाथ पकड़ कैं तेरा हामनै, चालणा सीख्या था बाब्बू

राजबीर खोरड़ा
21/06/2020

©Rajbir Khorda

#fathers_day

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