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लफ्ज़
कुछ तेरे,, कुछ मेरे
कहना है,, कुछ सुनना है
लफ्जों में तेरे मेरे
कुछ आपने,कुछ तुम्हारे
दिल के करीब जो होते
बसते दिल में मेरे
जाना है तो,,जाओ तुम
आना होगा लौट कर तुमको
क्योंकि तुम हो बस मेरे
लफ्जों में जो,,कह ना पाते
अक्सर दिल को तडपाते
दिल ही दिल में रहते मेरे
कुछ कहना नहीं, अब तुमसे
अब तुम्हें रहना है
बस कर दिल में मेरे
लफ्जों को रहने दो,, तुम लफ्जों में
जीने लगो बस तुम मुझमें
जैसे दिल संग धड़कन मेरे
मिल जाते गर मुझे,, प्यार भरे वो लफ्ज़ तेरे
दिल के आंगन में उठी जो ज्वाला है
तपते सहरा में जैसे बरसते मेघ आँखों से
बन कर लावा मेरे ...
कह दो- जो लफ़्ज़ों में- होता है,, बंया . मत बांधों- तुम लफ़्ज़ों को- होठो के दरमियाँ......
राजी....
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