White राजपाट है सपाट, कहते जिसे सम्राट,
करता है लूटपाट, भाषा की तिजोरी से।
शिल्प की लगाता वाट,स्वयं को बताता लाट,
शब्द-शब्द जीभ चाट, होंठ की कटोरी से।।
जाति का लगा कपाट,त्योरियाँ चढ़ा ललाट,
जिन्न को जगाने घाट, मिलता अघोरी से।
चार जन उठाए खाट, ढूँढते हमारी काट,
करते हैं काट छांट, घूम-घूम चोरी से।।
©Dr Virendra Pratap Singh Bhramar
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