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लोग पुछते है
किस बात का शोक मनाती हो
किस बात का ग़म है
क्यूं ना हंसती हो ना कभी मुस्काती हो,
तो सुनो
मुझे शोक है गहरा शोक है
मेरा पिता मेरा ख़ुदा चला गया
आंखे पढ़ लेने वाली, मोहब्बत से भरी वो आंखे
उसे ला दो तो मुस्कुराऊं
मेरा बचपन मेरी गालियां छीन गईं
वहां रख आओ, तो मुस्कुराऊं
मेरी मां की गोदी उसका आंचल
उसकी थपकी उसके हाथ मेरे आंसुओं को पोछने वाले
मुझे लाकर दो तो खिलखिलाऊं
सब कुछ तो छीन गया मेरा
बोलो किस बात की ख़ुशी मनाऊं!!
©Neha Mohan
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