jiyaa

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White दिल को आज धड़कन से शिकायत सी हो गई धड़कती हो मुझ में फिर क्यू किसी और के नाम हो गई ? अपनी थी जो कभी आज क्यू गैर हो गई ? लबों पर उतरी थी जो दूर होकर भी अल्फाजों में आज क्यू लबों पर ख़ामोश हो गई ? अनजान जो नही थी कभी भी आज क्यू अनजान हो गई ? लिखी थी जो कहानी इश्क के पन्नो पे आज क्यू वो खोरा कागज बन गई ? दिल को धड़कन से शिकायत सी हो गई धड़कती हो मुझ में फिर क्यू किसी और के नाम हो? ©jiyaa

#शायरी #sad_shayari  White दिल को आज धड़कन से शिकायत सी हो गई 
धड़कती हो मुझ में फिर क्यू किसी और के नाम हो गई ? 
अपनी थी जो कभी 
आज क्यू गैर हो गई ? 
लबों पर उतरी थी जो  दूर होकर भी अल्फाजों में 
आज क्यू  लबों पर ख़ामोश हो गई ? 
अनजान जो नही थी कभी भी 
आज क्यू अनजान हो गई ? 
लिखी थी जो कहानी इश्क के पन्नो पे 
आज क्यू वो खोरा कागज बन गई ? 
दिल को धड़कन से शिकायत सी हो गई 
धड़कती हो मुझ में फिर क्यू किसी और के नाम हो?

©jiyaa

#sad_shayari शायरी हिंदी में

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#शायरी  ये इश्क कैसे लिखते है, मुझे पता नही 
 टूटे कांच की तरह बिखरे कुछ पन्ने अब उन में वो लफ्ज़ नहीं, अब मुझे किसी से गिला शिकवा नहीं, ये इश्क़ मुझे मंजूर नहीं ये इश्क अब मुझे मंजूर नहीं, हसी के पीछे लाखो खामोशियां बिछाए है, इस दिल को अब किसी नाम से धड़कना नही अब मुझे इश्क मंजूर नहीं

©jiyaa

अब nhi

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White जहां दिन रात सुनती थी किसी नए मेहमान के आने की किलकारियां वहां मेरी चीखे दब कर आखिर क्यूं रह गई ? मम्मा !! आप ही तो कहते थे न की हमेशा सच के लिए लड़ना तो क्या गुनाह हुआ मुझसे जो मैं जीत न सकी ? नही .. न थी मैं गलत कपड़ो में न ही देर रात निकली थी लोगो की जान बचाने की कसमें थी मेरे पर , सफेद कोर्ट ही मेरी वर्दी थी सपने पूरे कर.. आज मैं उस सपने की मंजिल पर ही थी मूंदकर भरोसा था जिस दहलीज पर मुझे वो ही क्यों मेरे खून से लाल हो चली थी मम्मा !! पापा !! हां बेहद दर्द हुआ ... आंखो से आसू भी बह चले थे लेकिन बंद होती उन आंखो ने सिर्फ उस वक्त एक ही दुआ फिर से मांगी थी इस जन्म में जो अधूरी रह गई है ख्वाइश आपकी उन्हे अगली बार पूरा करने आऊंगी बेटा नही, मैं आपकी फिर से बेटी ही कहलाऊंगी मैं आपकी बेटी ही कहलाऊंगी ©jiyaa

#कविता  White जहां दिन रात सुनती थी किसी नए मेहमान के आने की किलकारियां 
वहां मेरी चीखे दब कर आखिर क्यूं रह गई ?
मम्मा !! आप ही तो कहते थे न की हमेशा सच के लिए लड़ना 
तो क्या गुनाह हुआ मुझसे जो मैं जीत न सकी ? 
नही  .. न थी मैं गलत कपड़ो में न ही देर रात निकली थी 
लोगो की जान बचाने की कसमें थी मेरे पर , सफेद कोर्ट ही मेरी वर्दी थी 
सपने पूरे कर.. आज मैं उस सपने की मंजिल पर ही थी 
मूंदकर भरोसा था जिस दहलीज पर मुझे 
वो ही क्यों मेरे खून से लाल हो चली थी 
मम्मा !! पापा !! हां बेहद दर्द हुआ ... आंखो से आसू भी बह चले थे 
लेकिन बंद होती उन आंखो ने सिर्फ उस वक्त एक ही दुआ फिर से मांगी थी 
इस जन्म में जो अधूरी रह गई है ख्वाइश आपकी उन्हे अगली बार पूरा करने आऊंगी 
बेटा नही, मैं आपकी फिर से बेटी ही कहलाऊंगी 
मैं आपकी बेटी ही कहलाऊंगी

©jiyaa

@justice for Moumita Debnath 🙏🙏

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