Thakur Vivek Krishna

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"The real man smiles in trouble, gathers strength from distress, and grows brave by reflection."

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Red sands and spectacular sandstone rock formations मेरी हर एक बात पे वो, कुछ मुस्कुराती सी रही, अपनी हर बात को सहेली की तरह, मुझे बताती रही, मैं भी पागल, बच्चा बन बैठा, उसकी मतलबी बातों का,  वो जो फरेबी बन कर, मुझको यूं ही टहलाती रही,  मैंने बात लगाई जब, चंदा और चकोर की, तो डगमगाती रही, दिल के दलदले में न पड़ा करो विवेक और खुद गैरों के साथ जश्न मनाती रही ! ©Thakur Vivek Krishna

#शायरी  Red sands and spectacular sandstone rock formations मेरी हर एक बात पे वो, कुछ मुस्कुराती सी रही,
अपनी हर बात को सहेली की तरह, मुझे बताती रही,

मैं भी पागल, बच्चा बन बैठा, उसकी मतलबी बातों का, 
वो जो फरेबी बन कर, मुझको यूं ही टहलाती रही, 

मैंने बात लगाई जब, चंदा और चकोर की, तो डगमगाती रही,
दिल के दलदले में न पड़ा करो विवेक और खुद गैरों के साथ जश्न मनाती रही !

©Thakur Vivek Krishna

मेरी चाहत तुमसे है जन्मों की, मैं इसमें कहीं खो जाऊं ! तुम दर्द ए हाल सुनाओ अपना, मैं तुम्हारा हो जाऊं ! समंदर सा मौन रहो तुम, मैं लहरों सा उसमें खो जाऊं ! आखों के झरनों से बहता दरिया, मैं नदी सा उसमें मिल जाऊं ! पर्वत सा अडिग रहूं सुख दुख में, बादल बन बरस जाऊं ! तुम धरा बन सृजन करो नव रस का, मैं तुम में समा जाऊं ! तुम्हारी निगाहों की किरण छुए जब रूह को, बर्फ बन पिघल जाऊं ! खुशियों से भर दूं दामन तुम्हारा, मैं बूढी दीवाली सा तुम्हें मनाऊं ! तुम्हारी झील सी आंखों की गहराई में खोकर, मैं उनमें डूब जाऊं ! हो इस कदर इश्क मुझे कि, जन्मों जन्मों तक मैं तुम्हारा हो जाऊं ! ©Thakur Vivek Krishna

#शायरी #चाहत  मेरी चाहत तुमसे है जन्मों की, मैं इसमें कहीं खो जाऊं !
तुम दर्द ए हाल सुनाओ अपना, मैं तुम्हारा हो जाऊं !

समंदर सा मौन रहो तुम, मैं लहरों सा उसमें खो जाऊं !
आखों के झरनों से बहता दरिया, मैं नदी सा उसमें मिल जाऊं !

पर्वत सा अडिग रहूं सुख दुख में, बादल बन बरस जाऊं !
तुम धरा बन सृजन करो नव रस का, मैं तुम में समा जाऊं !

तुम्हारी निगाहों की किरण छुए जब रूह को, बर्फ बन पिघल जाऊं !
खुशियों से भर दूं दामन तुम्हारा, मैं बूढी दीवाली सा तुम्हें मनाऊं !

तुम्हारी झील सी आंखों की गहराई में खोकर, मैं उनमें डूब जाऊं !
हो इस कदर इश्क मुझे कि, जन्मों  जन्मों तक मैं तुम्हारा हो जाऊं !

©Thakur Vivek Krishna

#चाहत

15 Love

लोगों के बदलते चेहरे,उनकी फजा बताती है, ठोकर खाना भी जरूरी है, मंजिल का पता बताती है ! हमारे अपने हमारा अच्छा चाहने वाले होते ही नही, वक्त के साथ बदलती जरूरत, उनकी रजा बताती है ! लगातार भटक कर ही मिलती है, मंजिल एक राही को, अक्सर ठोकरें ही, मंजिल का असली मजा दिखाती है ! जो ईमानदारी से लगे रहते है,अपने कर्मपथ पर, वक्त की आदलत उन्हें,कामयाबी की सजा सुनाती है ! ©Thakur Vivek Krishna

#मंजिल #विचार  लोगों के बदलते चेहरे,उनकी फजा बताती है, 
ठोकर खाना भी जरूरी है, मंजिल का पता बताती है !

हमारे अपने हमारा अच्छा चाहने वाले होते ही नही,
वक्त के साथ बदलती जरूरत, उनकी रजा बताती है !

लगातार भटक कर ही मिलती है, मंजिल एक राही को,
अक्सर ठोकरें ही, मंजिल का असली मजा दिखाती है !

जो ईमानदारी से लगे रहते है,अपने कर्मपथ पर,
वक्त की आदलत उन्हें,कामयाबी की सजा सुनाती है !

©Thakur Vivek Krishna

मंजिल यूं नही मिलती अरमान दिल में,जीत का जगाना पड़ता है, और हार जीत तो भय है डगर के, जुनून हो तो आसमान में जाना पड़ता है ! ©Thakur Vivek Krishna

#विचार #WinterSunset  मंजिल यूं नही मिलती अरमान दिल में,जीत का जगाना पड़ता है, 
और हार जीत तो भय है डगर के, जुनून हो तो आसमान में जाना पड़ता है !

©Thakur Vivek Krishna

#WinterSunset

15 Love

बेहिस है,बेफिक्र है,बेघर है,अब कुछ तो ठिकाना चाहिए, हम ताउम्र ईश्वर के नशे में रहना चाहते है,हो कहीं तो ऐसा महखाना चाहिए ! ©Thakur Vivek Krishna

#शायरी #safar  बेहिस है,बेफिक्र है,बेघर है,अब कुछ तो ठिकाना चाहिए,
हम ताउम्र ईश्वर के नशे में रहना चाहते है,हो कहीं तो ऐसा महखाना चाहिए !

©Thakur Vivek Krishna

#safar

12 Love

गैरों के अपनों को मैंने,अपना होते हुए देखा है, बेबाक मोहब्बत को भी, सपना होते हुए देखा है ! लोग कहते है कि मोहब्बत सच्ची नहीं होती, उनको भी मक्कारी का सौदा करते हुए देखा है ! कंधो पे सर रख कर मेरे, किसी और के लिए रोते है, गमों का बोझ किसी और का, मेरे कंधों पर ढोते है ! अजीव दास्तां है दुनिया कि भी,चाहने बालों को खोते है, मेरे मुंह पर हंसने वाले,किसी और के लिए रोते है ! "विवेक" गैरों के अपनों को मैंने,अपना होते हुए देखा है, वो मेरे थे बस इसी बहम में,उनको भी खोते देखा है ! ©Thakur Vivek Krishna

#शायरी  गैरों के अपनों को मैंने,अपना होते हुए देखा है,
बेबाक मोहब्बत को भी, सपना होते हुए देखा है !

लोग कहते है कि मोहब्बत सच्ची नहीं होती,
उनको भी मक्कारी का सौदा करते हुए देखा है !

कंधो पे सर रख कर मेरे, किसी और के लिए रोते है,
गमों का बोझ किसी और का, मेरे कंधों पर ढोते है !

अजीव दास्तां है दुनिया कि भी,चाहने बालों को खोते है, 
मेरे मुंह पर हंसने वाले,किसी और के लिए रोते है !

 "विवेक" गैरों के अपनों को मैंने,अपना होते हुए देखा है,
वो मेरे थे बस इसी बहम में,उनको भी खोते देखा है !

©Thakur Vivek Krishna

boat

9 Love

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