Ganesh Allahabadi

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Mehfil - Shayari Show

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Friday, 27 December | 10:57 pm

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White ग़मों की आग में जल रहा हूं मैं , ऐ जिंदगी देख तेरे हाथ से फिसल रहा हूं मैं । कहीं पर मुझे पलकों पे बिठाया जा रहा है , कहीं पर किसी की आँख में खल रहा हूं मैं । थकान इतनी है कि चूर चूर है सारा बदन , बेबसी ऐसी कि फिर भी चल रहा हूं मैं । एक तरफ मेरे घर बन रहे हैं , एक तरफ घर से निकल रहा हूं मैं । ©Ganesh Allahabadi

#sad_shayari  White ग़मों की आग में जल रहा हूं मैं ,

ऐ जिंदगी देख तेरे हाथ से फिसल रहा हूं मैं ।

कहीं पर मुझे पलकों पे बिठाया जा रहा है ,

कहीं पर किसी की आँख में खल रहा हूं मैं ।

थकान इतनी है कि चूर चूर है सारा बदन ,

बेबसी ऐसी कि फिर भी चल रहा हूं मैं ।

एक तरफ मेरे घर बन रहे हैं ,

एक तरफ घर से निकल रहा हूं मैं ।

©Ganesh Allahabadi

#sad_shayari

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Google अँधेरों की तलाश की नूर खो दिया एक तुम क्या गये गुरूर खो दिया आते-जाते रहेंगे कई सत्ताधीश होगा मलाल कोहिनूर खो दिया ... ©Ganesh Allahabadi

#Manmohan_Singh_Dies #SAD  Google अँधेरों की तलाश की नूर खो दिया 

एक तुम क्या गये  गुरूर खो दिया 

आते-जाते रहेंगे कई सत्ताधीश 

होगा मलाल  कोहिनूर खो दिया ...

©Ganesh Allahabadi

Unsplash बड़े लोगों की महफ़िल में गरीब नहीं आते हैं , ये सोचकर भी कुछ लोग मेरे करीब नहीं आते हैं । आप भी हो जाइए हमारे जनाजे में शरीक , बार-बार ज़मी पर हम जैसे बदनसीब नहीं आते हैं ।... - गणेश इलाहाबादी ©Ganesh Allahabadi

#library  Unsplash बड़े लोगों की महफ़िल में गरीब नहीं आते हैं ,

ये सोचकर भी कुछ लोग मेरे करीब नहीं आते हैं ।

आप भी हो जाइए हमारे जनाजे में शरीक ,

बार-बार ज़मी पर हम जैसे बदनसीब नहीं आते हैं ।...

  
- गणेश इलाहाबादी

©Ganesh Allahabadi

#library

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Mehfil - Shayari Show

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Wednesday, 25 December | 11:24 pm

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