White ग़मों की आग में जल रहा हूं मैं ,
ऐ जिंदगी देख तेरे हाथ से फिसल रहा हूं मैं ।
कहीं पर मुझे पलकों पे बिठाया जा रहा है ,
कहीं पर किसी की आँख में खल रहा हूं मैं ।
थकान इतनी है कि चूर चूर है सारा बदन ,
बेबसी ऐसी कि फिर भी चल रहा हूं मैं ।
एक तरफ मेरे घर बन रहे हैं ,
एक तरफ घर से निकल रहा हूं मैं ।
©Ganesh Allahabadi
#sad_shayari