White ग़मों की आग में जल रहा हूं मैं , ऐ जिंदगी द | हिंदी Shayari

"White ग़मों की आग में जल रहा हूं मैं , ऐ जिंदगी देख तेरे हाथ से फिसल रहा हूं मैं । कहीं पर मुझे पलकों पे बिठाया जा रहा है , कहीं पर किसी की आँख में खल रहा हूं मैं । थकान इतनी है कि चूर चूर है सारा बदन , बेबसी ऐसी कि फिर भी चल रहा हूं मैं । एक तरफ मेरे घर बन रहे हैं , एक तरफ घर से निकल रहा हूं मैं । ©Ganesh Allahabadi"

 White ग़मों की आग में जल रहा हूं मैं ,

ऐ जिंदगी देख तेरे हाथ से फिसल रहा हूं मैं ।

कहीं पर मुझे पलकों पे बिठाया जा रहा है ,

कहीं पर किसी की आँख में खल रहा हूं मैं ।

थकान इतनी है कि चूर चूर है सारा बदन ,

बेबसी ऐसी कि फिर भी चल रहा हूं मैं ।

एक तरफ मेरे घर बन रहे हैं ,

एक तरफ घर से निकल रहा हूं मैं ।

©Ganesh Allahabadi

White ग़मों की आग में जल रहा हूं मैं , ऐ जिंदगी देख तेरे हाथ से फिसल रहा हूं मैं । कहीं पर मुझे पलकों पे बिठाया जा रहा है , कहीं पर किसी की आँख में खल रहा हूं मैं । थकान इतनी है कि चूर चूर है सारा बदन , बेबसी ऐसी कि फिर भी चल रहा हूं मैं । एक तरफ मेरे घर बन रहे हैं , एक तरफ घर से निकल रहा हूं मैं । ©Ganesh Allahabadi

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