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White मैं हूं पालने का पूत मां तेरी ममता में पल रहा इस बुढ़ापे में भी बिन कुछ किए मेरा घर संसार चल रहा न रोटी की कोई चिंता है न कपड़ों की कोई फिक्र कहीं बना बनाया महल मिले तो मेहनत का कोई जिक्र नहीं अब तो बस एक ही है आस पालना हो सोने का पास दिन भर उसमें झुलूँ मैं ऐसा हो मेरा जीवन खास ©आकाॅंक्षा महेंद्र सिंह (साॅंझ)
आकाॅंक्षा महेंद्र सिंह (साॅंझ)
7 Love
White चेहरे पर नकाब लिए दुनिया को छलते फिरते हैं। मन में भर कर जहर सभी से मीठी बातें करते हैं। स्वार्थ जहां तक पूरा हो बस उतना रिश्ता रखते हैं। अपनों के बीच इन्हें देखो गिरगिट सा रंग बदलते हैं। ©आकाॅंक्षा महेंद्र सिंह (साॅंझ)
13 Love
White लोगों को तो छल लोगे,क्या उस रब को छल पाओगे तुम। छल करते करते बोलो, कितना ही चल पाओगे तुम। लेखा जोखा रखता है, जो तेरे मेरे कर्मों का। हिसाब करेगा जब वो तब, क्या उस फल से बच पाओगे तुम। ©Aakanksha Baghel
37 Love
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