White मैं हूं पालने का पूत
मां तेरी ममता में पल रहा
इस बुढ़ापे में भी बिन कुछ किए
मेरा घर संसार चल रहा
न रोटी की कोई चिंता है
न कपड़ों की कोई फिक्र कहीं
बना बनाया महल मिले तो
मेहनत का कोई जिक्र नहीं
अब तो बस एक ही है आस
पालना हो सोने का पास
दिन भर उसमें झुलूँ मैं
ऐसा हो मेरा जीवन खास
©आकाॅंक्षा महेंद्र सिंह (साॅंझ)
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