नापाक किसी के मंसूबों का कहर है, घर पर रहो,
वायरस का अब हर तरफ असर है, घर पर रहो|
चन्द-रोज़ की तालाबंदी, लौटेंगे फिर सुनहरे लम्हें,
अभी सरकार की सब पर नज़र है, घर पर रहो|
मुद्दत से ना हुई थी जिनसे बोलचाल भी जनाब,
आज सबको यहाँ, सबकी खबर है, घर पर रहो|
कर कुछ रहम ज़रा, अपने बाशिंदों पर उपरवाले,
मजदूर क्यूँ भटकता, दर-बदर है, घर पर रहो|
दौर-ए-गर्दिश मे, औकात इंसान की भला क्या,
सबके रहनुमा का भी, बंद दर है, घर पर रहो|
कर इरादा, पार जाना है अब चुनौतियों के 'हरीश',
नामुमकिन नहीं, मुश्किल सफ़र है, घर पर रहो|
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here