Alok Saxena

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White दिन गुज़र जाए और शाम ढले, तन्हा रातों में फिर उम्मीद पले I काश ! महका के मेरे ख्वाबों को आके मुस्कराती हुई लग जाओ गले I ©Alok Saxena

#शायरी #sad_quotes  White दिन   गुज़र   जाए  और   शाम   ढले, 
तन्हा   रातों   में   फिर  उम्मीद  पले I 
काश !  महका   के  मेरे  ख्वाबों  को 
आके मुस्कराती  हुई  लग जाओ  गले I

©Alok Saxena

#sad_quotes

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#कविता #HindiDiwas2020  विभिन्न   प्रांत  की भाषा  से  कर  समागम 
संस्कृत  के   गर्भ   से    हुआ   मेरा   जन्म ,
 हिन्द   के   मस्तक   की    बिंदी    हूँ    मैं 
राष्ट्रभाषा   से   सम्मानित   हिंदी   हूँ     मैं ,

©Alok Saxena
#शायरी #Gulaab  घूरकर  जो   आपने  देखा   हमें   तो  गम  नहीं 
आपकी   ये  भी  अदा  क़यामत   से  कम नहीं

©Alok Saxena

#Gulaab

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#शायरी #safarnama  पंक्षी  बनू  चहका  करूँ  महकते  उपवन  में ,
तौल  अपना   साहस   उडूं   नीले   गगन  में ,
पंख  है  लघु   मगर   इच्छा  शक्ति  है  प्रबल 
विजय  गीत  सुनाने  का  संकल्प  है  अटल ,
मंद   मंद  पवन  के   झोंकों  के   उन्माद  से 
भर दूंगी चंचल  हंसी  सुबह के कण कण  में ,

©Alok Saxena

#safarnama

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#शायरी #DiyaSalaai  अधरों  की  मुस्कान   के   पीछे 
पीड़ा   को    किसने   पहचाना ,
भटक  रहा  जीवन के  पथ   में 
हृदय  क्या चाहे  मर्म  ना  जाना,

©Alok Saxena

#DiyaSalaai

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#शायरी #intezar  ऐतबार   कर   बैठा   दिल 
फिर   से   परदेशियों   का ,
सफ़र   था   यादगार   सा 
दिल के  बुझते  दीयों  का ,
रौशनी  बन  जुगनूओं  सा 
जल   रहे   थे   जो   कभी ,
वो  है आँखों  का काजल 
रात  की  खामोशियों  का ,

©Alok Saxena

#intezar

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