White दिन गुज़र जाए और शाम ढले, तन्हा र | हिंदी शायरी

"White दिन गुज़र जाए और शाम ढले, तन्हा रातों में फिर उम्मीद पले I काश ! महका के मेरे ख्वाबों को आके मुस्कराती हुई लग जाओ गले I ©Alok Saxena"

 White दिन   गुज़र   जाए  और   शाम   ढले, 
तन्हा   रातों   में   फिर  उम्मीद  पले I 
काश !  महका   के  मेरे  ख्वाबों  को 
आके मुस्कराती  हुई  लग जाओ  गले I

©Alok Saxena

White दिन गुज़र जाए और शाम ढले, तन्हा रातों में फिर उम्मीद पले I काश ! महका के मेरे ख्वाबों को आके मुस्कराती हुई लग जाओ गले I ©Alok Saxena

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