White रात की खामोशी, पटरियों का शोर,
चलती हुई रेल, दिल में उठता जोर।
खिड़की से देखूं मैं, नज़ारों की चाल,
ज़िंदगी का सफर भी, है ऐसा ही हाल।
हर स्टेशन पे रुकना, कुछ पल का ठहराव,
फिर आगे बढ़ जाना, नए सपनों का भाव।
रास्ते में मिलते हैं, कई अजनबी लोग,
कुछ अपनापन देते, कुछ दे जाते सोग।
कुछ हंसते चेहरे, कुछ नम आंखों की भीड़,
कुछ अनकही बातें, कुछ अधूरे ख्वाबों की नीड़।
कोई साथ चलता है, तो कोई छूट जाता है,
यूं ही ये सफर, हर पल बदल जाता है।
हर धड़कन में बसता है मिलने का डर,
हर ठोकर सिखाती है चलने का हुनर।
फिर भी ये दिल उम्मीदों में ढलता,
हर सफर में खुद को नया सा पलता।
मंजिल की तलाश में बढ़ते कदमों का असर,
जैसे रेल की पटरी पर थमता नहीं सफर।
शायद किसी दिन मिलेगा सुकून का ठिकाना,
जहां थमेगा ये दिल और सजेगा नया फसाना।
©Ekta Anshi
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