`sanju sharan

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White इस नाउम्मीद की रात में कब जगेगी उम्मीद तीस चांद की रात तीस अमावस्या की रात में उम्मीद टूटते हुए देखा कहीं भी आस का जुगनू नज़र ना आया मुझे एक उम्मीद की लौ जला दे मेरे प्रभु एक दूज का चांद दिखा दे फिर एक खुशनुमा सुबह का दर्शन करा दे प्रभु अब सहन नहीं होता अपनों की तकलीफ़ एक उम्मीद की झलक दिखला दे प्रभु दिखला दे प्रभु...... ©`sanju sharan

#भक्ति #wallpaper  White इस नाउम्मीद की रात में 
कब जगेगी उम्मीद 
तीस चांद की रात 
तीस अमावस्या की रात में 
उम्मीद टूटते हुए देखा 
कहीं भी आस का जुगनू 
नज़र ना आया मुझे 
एक उम्मीद की लौ 
जला दे मेरे प्रभु
एक दूज का चांद दिखा दे
फिर एक खुशनुमा सुबह का 
दर्शन करा दे प्रभु
अब सहन नहीं होता 
अपनों की तकलीफ़ 
एक उम्मीद की 
झलक दिखला दे प्रभु
दिखला दे प्रभु......

©`sanju sharan

#wallpaper

23 Love

किसे ढूंढ रही है ओ प्यारी चिड़िया जो ना कभी तेरे थे बिता कर खुशियों के पल चल दिए सब अपने घर बाट ना जोह उन लोगो का जो ना कभी तेरे थे बस खुशियों के साथी थे सब दुख में तन्हा छोड़ गए फैला पंख तुम भी नील गगन में उड़ चलो अब भी तुममें शक्ति है ©`sanju sharan

#कविता  किसे ढूंढ रही है 
ओ प्यारी चिड़िया   
जो ना कभी तेरे थे
बिता कर खुशियों के पल
चल दिए सब अपने घर
बाट ना जोह उन लोगो का
जो ना कभी तेरे थे
बस खुशियों के साथी थे सब
दुख में तन्हा छोड़ गए
फैला पंख तुम भी 
नील गगन में उड़ चलो
अब भी तुममें शक्ति है

©`sanju sharan

किसे ढूंढ रही है ओ प्यारी चिड़िया जो ना कभी तेरे थे बिता कर खुशियों के पल चल दिए सब अपने घर बाट ना जोह उन लोगो का जो ना कभी तेरे थे बस खुशियों के साथी थे सब दुख में तन्हा छोड़ गए फैला पंख तुम भी नील गगन में उड़ चलो अब भी तुममें शक्ति है ©`sanju sharan

14 Love

#raksha_bandhan_2024 #विचार  White सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं

©`sanju sharan

कभी कभी सोचती हूं ,आत्मसम्मान के नाम पर अहंकार या गुस्सा इतना इंसान को इतना कठोर बना देता है कि मानवीय रिश्तों को भूल जाते हैं लोग ,कोई बीमारी झेल रहा या बीमार है उसकी खैरियत भी लोग नहीं पूछते,सच इंसान को पहचानना बहुत मुश्किल है,जहां तक मेरा मानना कोई व्यक्ति अतीत में हमें चोट भी पहुंचाए या उनकी बातों से तकलीफ भी हुई हो तो अगर वो किसी भी तरह के तकलीफ में हो तो इन्सान होने के नाते उसकी तकलीफ में शामिल होना चाहिए पर अकड़ वश लोग ऐसा नहीं करते चाहे अतीत में वो इंसान आपके लिए कुछ भी करता हो, बस नफरत वाली बात ही याद रहती है,पर मानवता से बढ़कर कुछ भी नहीं आपकी झूठी अहम भी नहीं। सभी का दिन मंगलमय हो। ©`sanju sharan

#ज़िन्दगी #Flower  कभी कभी सोचती हूं ,आत्मसम्मान के नाम पर अहंकार या गुस्सा इतना इंसान को इतना कठोर बना देता है कि मानवीय रिश्तों को भूल जाते हैं लोग ,कोई बीमारी झेल रहा या बीमार है उसकी खैरियत भी लोग नहीं पूछते,सच इंसान को पहचानना बहुत मुश्किल है,जहां तक मेरा मानना कोई व्यक्ति अतीत में हमें चोट भी पहुंचाए या उनकी बातों से तकलीफ भी हुई हो तो अगर वो किसी भी तरह के तकलीफ में हो तो इन्सान होने के नाते उसकी तकलीफ में शामिल होना चाहिए पर अकड़ वश लोग ऐसा नहीं करते चाहे अतीत में वो इंसान आपके लिए कुछ भी करता हो, बस नफरत वाली बात ही याद रहती है,पर मानवता से बढ़कर कुछ भी नहीं आपकी झूठी अहम भी नहीं।
सभी का दिन मंगलमय हो।

©`sanju sharan

#Flower

6 Love

#ज़िन्दगी  अक्सर जिंदगी मुझसे 
ये ही सवाल करती है
सब कुछ तो है तेरे पास
तन्हा और गमगीन रहती हैं क्यों?
मैंने कहा! डियर जिंदगी
किसी परिंदे को जकड़ दो
सोने की पिंजरे में
क्या आजाद रह सकता है वो
मन भी कैद जिस्म भी कैद
कैसे खुश रह सकता कोई
ऊपर से वक्त की साज़िश
कैसे मलंग रह सकता कोई
जिंदगी भी नजर गड़ा कर देखी मुझे
शायद वो भी शर्मिंदा थी
मेरी हालत को देखकर।

संजू शरण

©`sanju sharan

अक्सर जिंदगी मुझसे ये ही सवाल करती है सब कुछ तो है तेरे पास तन्हा और गमगीन रहती हैं क्यों? मैंने कहा! डियर जिंदगी किसी परिंदे को जकड़ दो सोने की पिंजरे में क्या आजाद रह सकता है वो मन भी कैद जिस्म भी कैद कैसे खुश रह सकता कोई ऊपर से वक्त की साज़िश कैसे मलंग रह सकता कोई जिंदगी भी नजर गड़ा कर देखी मुझे शायद वो भी शर्मिंदा थी मेरी हालत को देखकर। संजू शरण ©`sanju sharan

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क्यों दिखा रहे हो तेवर हे! जलनिधी तुम क्या तुम्हें भी चोट दिया अपनों ने अपने क्रोधित फैनिली झाग से किनारों को ना डरा तुम वो भी निडर हो गई है चोट खाकर तेरी। संजू शरण शुभ प्रभात ©`sanju sharan

#कविता  क्यों दिखा रहे हो तेवर
हे! जलनिधी तुम
क्या तुम्हें भी चोट दिया 
अपनों ने
अपने क्रोधित फैनिली झाग से
किनारों को ना डरा तुम
वो भी निडर हो गई है
चोट खाकर तेरी।
संजू शरण 
शुभ प्रभात

©`sanju sharan

क्यों दिखा रहे हो तेवर हे! जलनिधी तुम क्या तुम्हें भी चोट दिया अपनों ने अपने क्रोधित फैनिली झाग से किनारों को ना डरा तुम वो भी निडर हो गई है चोट खाकर तेरी। संजू शरण शुभ प्रभात ©`sanju sharan

7 Love

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