White इक झलक कल उसको देखा,
कुछ वो मधुर गुनगुना रही थी |
जब नजर दौड़ाया इधर-उधर,
वो बंद पर्दे में मुस्कुरा रही थी ||
काफी वक्त बाद आया मुझे करार,
वो आहिस्ता आहिस्ता सहला रही थी |
नाराजगी हम दोनों में क्यूँ है?,
मैं उसे और वो मुझे बता रही थी ||
मैंने पूछा इतना गम क्यों दिया तूने,
वो हँसकर बोली नादां,
मैं जिंदगी हूँ,
तुझे कमबख्त दुनियाँ में जीना सिखा रही थी ||
©Santosh Verma
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