🌹सुप्रभात🌹
प्रेम पियाला सो पिये,
शीस दक्सीना देय ।
लोभी शीस न दे सके,
नाम प्रेम का लेय ।।
🌹🌹सद्गुरु कबीर साहेब🌹🌹
प्रेम को आत्मसात वही कर सकता है जो मान,बड़ाई,इर्ष्या को त्याग कर सदगुरु के समक्ष समर्पण करने की साहस रखता हो । स्वार्थी व्यक्ति हमेशा प्रेम की माला जपता है लेकिन उसमें समर्पण का सर्वथा अभाव रहता है । केवल दिखावा करता है ।
भाव - यह है कि भक्ति मार्ग में दिखावा के लिये कोई स्थान नही है ।
🌹☘️सप्रेम साहेब बन्दगी ☘️🌹
©Amlesh SAHU
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