ये नफरतों के समंदर में
झूठे प्यार के मंजर में
मैंने जाना तुझको अंदर से
झूठे लफ्जों के बहाने से
ये ख्वाबों के आ जाने से
मैं इन मैं खोया हर पल रहता हूं।
तू वक्त नजाकत बदल दे
मेरे शब्द इबादत कर रहे।।
कहीं भटका कभी खोया
कभी इन राहों में तो कभी उन निगाहों में
वो वक्त वो दौर वो खामोशियों से भरा हुआ शोर
कभी खाता है तो कभी जलाता है मुझे
आज भी मेरा खोया हुआ कल याद दिलाता है मुझे।।
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