Sanjai Saxena

Sanjai Saxena Lives in Allahabad, Uttar Pradesh, India

  • Latest
  • Popular
  • Video

White अब मैंने उसकी इज़्ज़त करना सीख लिया है, अब मैंने अपना मुंह बंद करना सीख लिया है, पहले जो निगाहों से होती थी गुफ्तगू कभी, अब मैंने, निगाहें इतर करना सीख लिया है। संजय सक्सेना ©Sanjai Saxena

#कविता #Tulips  White अब मैंने उसकी इज़्ज़त करना सीख लिया है,
अब मैंने अपना मुंह बंद करना सीख लिया है,
पहले जो निगाहों से होती थी गुफ्तगू कभी,
अब मैंने, निगाहें इतर करना सीख लिया है।


संजय सक्सेना

©Sanjai Saxena

#Tulips

15 Love

White उसको ऐसा वैसा कब समझा था, वह उड़ सके बस यह समझा था। उड़ने को पंख खोलने ही पड़ते है, वह निश्चित उड़ेगा यह समझा था। written by:- संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#कविता #sad_quotes  White उसको ऐसा वैसा कब समझा था,
वह उड़ सके बस यह समझा था।

उड़ने को पंख खोलने ही पड़ते है,
वह निश्चित उड़ेगा यह समझा था।

written by:-
संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

#sad_quotes

10 Love

उमंगों में जीना कोई उससे सीखे, प्रेम को भुलाना कोई उससे सीखे। written by:- Sanjai Saxena Prayagraj ©Sanjai Saxena

#कविता #sadak  उमंगों में जीना कोई उससे सीखे,
प्रेम को भुलाना कोई उससे सीखे।

written by:-
Sanjai Saxena
Prayagraj

©Sanjai Saxena

#sadak

13 Love

White न छप्पर फूटा, न धन मिला, इंतज़ार-ए-वक़्त में, सारा जीवन बीत गया, जवान हाथों से किया कुछ नही, जिम्मेदारियों को यूं ही छोड़ दिया, पालनहार भगवान भी अब क्या करे, जब उसकी व्यवस्था को ही तोड़ दिया, जीवन भर मांगते रहे, झूठ बोलते रहे, कोसते रहे, लड़ते रहे, फिर शिकायत क्यो, जब सबने साथ छोड़ दिया। जीवन भर रिश्ते तोड़ते गये, साथ छोड़ते गये, न पिता की बैसाखी बने, न भाई का काँधा, वक़्त भी खुद ही पीछे छोड़ दिया। अपनी लाठी जब खुद ही बनो, धरातल पर भी कुछ दूर चलो, राह के पत्थर हटा सको, तब मंज़िल बस उंसको मिले, जिसने व्यसन छोड़ दिया। wtitten by:- संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#कविता #GoodMorning  White न छप्पर फूटा, न धन मिला,
इंतज़ार-ए-वक़्त में, सारा जीवन बीत गया,

जवान हाथों से किया कुछ नही, 
जिम्मेदारियों को यूं ही छोड़ दिया,

पालनहार भगवान भी अब क्या करे, 
जब उसकी व्यवस्था को ही तोड़ दिया,

जीवन भर मांगते रहे, झूठ बोलते रहे, 
कोसते रहे, लड़ते रहे, फिर शिकायत क्यो, 
जब सबने साथ छोड़ दिया।

जीवन भर रिश्ते तोड़ते गये, साथ छोड़ते गये, 
न पिता की बैसाखी बने, न भाई का काँधा, 
वक़्त भी खुद ही पीछे छोड़ दिया।

अपनी लाठी जब खुद ही बनो,
धरातल पर भी कुछ दूर चलो,
राह के पत्थर हटा सको,
तब मंज़िल बस उंसको मिले, 
जिसने व्यसन छोड़ दिया।

wtitten by:-
संजय सक्सेना, 
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

#GoodMorning

10 Love

हमने जो तेरी आँखों मे मोहब्बत देखी, उंसको तेरे लबो पर बरकरार देखा, मरमरी लबो की थिरकन ने जो कहा, उंसको मेरी आँखों ने खूब सुना। written by:- संजय सक्सेना प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#NationalSimplicityDay #कविता  हमने जो तेरी आँखों मे मोहब्बत देखी,
उंसको तेरे लबो पर बरकरार देखा,
मरमरी लबो की थिरकन ने जो कहा,
उंसको मेरी आँखों ने खूब सुना।

written by:-
संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

दुनिया कहे तो कहे कोई बात नही, उसने कह दिया तो हंगामा हो गया। बात जज्बातों की हो तो मौन ही अच्छा, जाने क्यो दिन में अंधेरा हो गया। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#कविता #WritingForYou  दुनिया कहे तो कहे कोई बात नही,
उसने कह दिया तो हंगामा हो गया।
बात जज्बातों की हो तो मौन ही अच्छा,
जाने क्यो दिन में अंधेरा हो गया।

संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena
Trending Topic