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न उनसे जफ़ा की उम्मीद, न उनसे वफ़ा की उम्मीद, हमें तो उनकी नज़र भरी, प्यारी मुस्कान की उम्मीद। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena
Sanjai Saxena
13 Love
तिश्नगी का रस परछाइयों से नही मिलता, जाम-ए-उल्फ़त का रस, चाहत से नही मिलता। संजय सक्सेना। ©Sanjai Saxena
11 Love
बैचैन रहते है उल्फत के लिये, जो रहते है हरदम उल्फत में। संजय सक्सेना प्रयागराज ©Sanjai Saxena
12 Love
रिश्तों में जब शर्ते आ जाती है, रिश्ते तब व्यापार बन जाते है। रिश्तों में जब जिम्मेदारी घट जाती है, रिश्तों में तब तल्खी आ जाती है। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena
9 Love
तुमने क्यो ओढ़ ली चेहरे पर यह शिकन, कभी उसके लिये जीवन जी लिया होता। कभी तपिश, कभी ठंडी बयार भी तो थी, दुश्वारियों में भी कुछ मुस्कुरा लिया होता। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena
White खरा सोना नही, तेरे दिल की ख्वाइश का, दीवानगी भरा, दरख़्त-ए-सुकून भी तो था। रास्ते-ए-मंज़िल पर छांव बन साथ चला जो, कभी प्यार से उंसको गले लगा लिया होता। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena
17 Love
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