Sanjai Saxena

Sanjai Saxena Lives in Allahabad, Uttar Pradesh, India

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जब जब चांद ने शर्म से पर्दा किया है, तब तब घनघोर अंधेरा हुआ है। खिलने दो कलियों को, महकने दो चमन, रोशन हो जहाँ और मन का भरम, फिर देखो खुशियों से खिलता चाँद, शीतल हवा में मुस्काते सितारे। ऐसी हो खूबसूरत दुनियां हमारी, जब तब हमको सिर्फ यह भरम हुआ है। written by:- संजय सक्सेना प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#कविता #Her  जब जब चांद ने शर्म से पर्दा किया है,
तब तब घनघोर अंधेरा हुआ है।
खिलने दो कलियों को, महकने दो चमन,
रोशन हो जहाँ और मन का भरम,
फिर देखो खुशियों से खिलता चाँद, 
शीतल हवा में मुस्काते सितारे।
ऐसी हो खूबसूरत दुनियां हमारी,
जब तब हमको सिर्फ यह भरम हुआ है।


written by:-
संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

#Her

11 Love

उसे लगता है, मैं उससे प्यार करता हूँ, उसको नही मालूम कि मैं नशे में हूँ। संजय सक्सेना प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#कविता  उसे लगता है, मैं उससे प्यार करता हूँ,
उसको नही मालूम कि मैं नशे में हूँ।

संजय सक्सेना
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

#Love

15 Love

New Year 2025 रवि किरण धरा को, आलोकित जब कर जाएं, सुबह, सवेरे नवयौवन सी, कलियां जब खिल जाएं, धीमे धीमे से खुशियां, हर घर महकाएं, धवल, धानी धरा सा, आलोकित, हर जीवन कर जायें। नव वर्ष पर आपको और आपके परिवार को बहुत बहुत शुभकामनाएं। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#कविता #Newyear2025  New Year 2025 रवि किरण धरा को,
आलोकित जब कर जाएं,
सुबह, सवेरे नवयौवन सी,
कलियां जब खिल जाएं,
धीमे धीमे से खुशियां,
हर घर महकाएं,
धवल, धानी धरा सा,
आलोकित, हर जीवन कर जायें।

नव वर्ष पर आपको और आपके परिवार को बहुत बहुत शुभकामनाएं।

संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

#Newyear2025

17 Love

White अब मैंने उसकी इज़्ज़त करना सीख लिया है, अब मैंने अपना मुंह बंद करना सीख लिया है, पहले जो निगाहों से होती थी गुफ्तगू कभी, अब मैंने, निगाहें इतर करना सीख लिया है। संजय सक्सेना ©Sanjai Saxena

#कविता #Tulips  White अब मैंने उसकी इज़्ज़त करना सीख लिया है,
अब मैंने अपना मुंह बंद करना सीख लिया है,
पहले जो निगाहों से होती थी गुफ्तगू कभी,
अब मैंने, निगाहें इतर करना सीख लिया है।


संजय सक्सेना

©Sanjai Saxena

#Tulips

15 Love

White उसको ऐसा वैसा कब समझा था, वह उड़ सके बस यह समझा था। उड़ने को पंख खोलने ही पड़ते है, वह निश्चित उड़ेगा यह समझा था। written by:- संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#कविता #sad_quotes  White उसको ऐसा वैसा कब समझा था,
वह उड़ सके बस यह समझा था।

उड़ने को पंख खोलने ही पड़ते है,
वह निश्चित उड़ेगा यह समझा था।

written by:-
संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

#sad_quotes

10 Love

उमंगों में जीना कोई उससे सीखे, प्रेम को भुलाना कोई उससे सीखे। written by:- Sanjai Saxena Prayagraj ©Sanjai Saxena

#कविता #sadak  उमंगों में जीना कोई उससे सीखे,
प्रेम को भुलाना कोई उससे सीखे।

written by:-
Sanjai Saxena
Prayagraj

©Sanjai Saxena

#sadak

13 Love

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