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न हिंदी लिखता हूं न उर्दू लिखता हूं। जो भी लिखता हूं अपनी लिखता हूं।
कुछ इस तरह सोचता रहता हूं। अपने आप से ही गुप्तगू करता रहता हू। कोई नीचा दिखाता कोई पागल समझता। में ऐसे ही अपनी इज्जत नीलाम होते देखता रहता हूं। ©Mr.Rahul Writes
Mr.Rahul Writes
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काश ये दूरिया कम हो जाये। ये रास्ते खत्म हो जाये। तुम मिलो इस बीच में ओर हल्की सी बारिश हो जाये ©Mr.Rahul Writes
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SACHHI DOSTI तेरी दोस्ती की एक झलक पाने को तरश जाते है। इसलिए शायद जब भी मिलते है। आंखों से आँसू निकल आते है। ©Mr.Rahul Writes
फटे में पाँव उलझाऊ क्या। में भी किसी के प्यार में पढ़ जाऊ क्या। लिखता फिरूँगा में भी कागज पर चिठ्ठियां। इस जमाने मे भी गँवार कहलाऊँ क्या ©Mr.Rahul Writes
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