कहां गए सब यार,सभी दोस्त ???
चलो आ भी जाओ!!
महफ़िल तो सजाओ
कुछ सुर लगाओ,थोड़ी ताल बिठाओ
उन पुरानी यादों के
कुछ तरन्नुम गुनगुनाओ
सजे महफ़िल, आगाज़ उठाओ
चलो आ भी जाओ!!
यूं तो मशरूफ है हर कोई अपने आप में,
कोई मशरूफियत से जुदा ही नहीं
पर कुछ वक्त दोस्ती को भी तो दो
दोस्ती से खूबसूरत कोई रिश्ता भी तो नहीं
दोस्त नहीं मिलते यूं बार बार, हर बार
गर मिली है दोस्ती,तो फिर शिद्दत से निभाओ
चलो आ भी जाओ!!
महफिल तो सजाओ...
©Maya Shetty
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