बंदी जीवन भी क्या जीवन
मुक्त स्वच्छंद हो जाने दो
लाख डाउन भले पूर्ण हो
अंतर अंतर से रह जाने दो
हो रुदन कृदन्त
बंदी जीवन भी क्या जीवन
मनोदशा भी कुंठित हो समस्त रसों का रसास्वादन वंचित जीवन अंतर अंतर से रह जाने दो
सफल हो बंदी जीवन
मजदूर दिवस
वह तोडता पतथर
मैं ने देखा ऊसे बालाघाट
के पथपर
वह तोडता पतथर
मैं ने देखा।
एक हाथ मे हथोडा
पसीने से तरबतर
मैं ने देखा ऊसे बालाघाट
के पथ पर
देवदास.
लॉक डाउन
मेरे तुनीर के बाण
छटपटा रहे हैं पितामह
अरे अर्जुन कोरोनावायरस कोई साधारण योद्धा नहीं है
5 क्या मैं कोई साधारण योद्धा हूं
मेरे तुणीर मैं लॉक डाउन जैसा ब्रह्मास्त्र है पितामह
लव डॉन जैसा शस्त्रों का प्रयोग महामारी जैसे हालात में किया जाता है पार्थ
अवश्य पितामह लॉक डाउन
इस समय आचार्य द्रोण कहां है अर्जुन
वह भी इस समय अपने कक्ष में लॉक डाउन की ही प्रतीक्षा कर रहे हैं पितामह
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