वो भला यूँ ही तो हमसे कुछ नहीं कहते है,
वो दर्द भी बयाँ करते है तो छुपा लेते है !
हम फखत झाकते रहते है उनकी नज़रो मे,
वो है की पल भर नहीं लगता नज़रे फेर लेते है!
ना जाने कितनी दफा इश्क़ की तपिश मे तपते देखा है,
हमने उनकी आँखों मे अक्सर तूफ़ाँ पलते देखा है !
वो मिले हमसे एक दफा फिर हमने कुछ कहाँ उनसे,
हम जानते है उन्हें
हमने उन्हें सीने से लगके रोते देखा है !
हमारी मोहब्बत कम तो नही है मगर,
वही खामोशी समझते नहीं है
अक्सर हमने उन्हें भी कुछ कहते हुए खामोश होते देखा है!
लड़ता है उनके अंदर भी इश्क़ हमारे लिए,
मगर उन्होंने अक्सर कह देने से बात बिगड़ते देखा है !
एक दिन क्या ही गजब हुआ रात भर रोये हम भी उनके लिए,
ये कोई सपना तो ना था
हमने खुद को भी उनकी मोहब्बत मे तड़पते देखा है !
अक्सर हमने उन्हें भी कुछ कहते हुए खामोश होते देखा है,
हम जानते है उन्हें
हमने उन्हें सीने से लगके रोते देखा है !
©Rohit Kumar
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