मेरे मन में, मेरी तस्वीर में साहिब, वो आता रोज़ तो है पर कभी दस्तक नहीं देता..... मेरी हँसती सी बगिया में, मेरी खिलती सी गलियों में, नई सी धूप चमकाने, वो आता रोज़ तो है पर कभी दस्तक नहीं देता..... मेरे ख्वाबों-ख्यालों में, सुलझती इन लटों में भी, मेरे ओठों की चुप्पी में, वो आता रोज़ तो है पर कभी दस्तक नहीं देता..... मेरी मुस्कान, शब्दों में, मेरी रुकती सी नब्ज़ों में, मेरी बेचैन रातों में, वो आता रोज़ तो है पर कभी दस्तक नहीं देता.....
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