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singer
चिरागों से लिए लौ को अंधेरा भूल जाता है। लिए अश्कों को नैनो में नजर से मुस्कुराता है। जहर नफरत का पलता है अँधेरी राह में लेकिन बसे अंधों की नगरी में सकल दर्पण दिखाता है। -सचिन चौहान ©Sachin Thakur
Sachin Thakur
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सुमन में तुम समा करके मुझे तुम बाग़ कर देना। सुरों की रागिनी बनके मुझे तुम राग कर देना। तुम्हारे दिल की धड़कन से कोई मंसूब हो जाए मुझे अपना बना करके मुझे तुम त्याग कर देना। ©Sachin Thakur
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जख्म भी दर्द से कभी मरहम बना। मेरे नैनों के मोती से शबनम बना। बात कैसे करूं मैं खुशी की यहां। टूटे दिल का धरम मेरा ग़म बना। ©Sachin Thakur
9 Love
जख्म भी दर्द से कभी मरहम बना। मेरे नैनों के मोती से शबनम बना। बात कैसे करूं मैं खुशी की यहां टूटे दिल का धरम मेरा गम बना। ©Sachin Thakur
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जिसकी खामोशी में अल्फाज है उसकी बात का अंत क्या होगा। जिसकी अंत ही शुरुआत है उसकी शुरुआत का अंत क्या होगा। ©Sachin Thakur
स्वार्थ में काम होता नहीं है सखे। मर के आराम होता नहीं है सखे। नाम के वास्ते लोग मरते रहे जीते जी नाम होता नहीं है सखे। ©Sachin Thakur
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